अग्रोहा धाम वैश्य समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने एक अत्यंत खेदजनक सूचना दी है जिससे देश भर के वैश्य समाज में रोष होना स्वाभाविक है। श्री गर्ग ने बताया है कि हरियाणा में कक्षा पांच में पढ़ाई जाने वाली पुस्तक से महाराजा अग्रसेन संबंधी पाठ निकाल दिया गया है। ज्ञातव्य है कि 6 वर्ष पूर्व पाठ्य पुस्तक में महाराजा अग्रसेन की जीवनी को सम्मिलित किया गया था। हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर की सरकार का यह निर्णय आपत्तिजनक ही नहीं मूर्खतापूर्ण भी है।
महाराजा अग्रसेन किसी जाति विशेष के आइकन नहीं
थे वरन समग्र भारतीय संस्कृति की महानताओं एवं अस्मिता
के प्रखर पुरुष थे। एक रुपया और एक ईंट का सिद्धान्त चला
कर महाराजा ने समाज की एकता और सुहढ़ता का सन्देश दिया। वे महाप्रतापी और वीर योद्धा तथा प्रजावत्सल शासक थे जिन्होंने समग्र समाज को परस्पर सहयोग एवं प्रगतिशीलता की राह दिखाई।
महाराजा के आदर्शों एवं शिक्षाओं का ही प्रताप है कि पूरे देश
का वैश्य समाज देश एवं संस्कृति, उसकी प्रतिष्ठा, सुरक्षा तथा
प्रगति के लिये सदा तत्पर रहता है। विदेशी शासकों तथा
वामपंथी और झूठे सेक्यूलरवादियों ने हमारे इतिहास पुरुषों
को हाशिये पर डालने का कुकृत्य किया किन्तु हर्ष है कि केन्द्र
पाठ्य पुस्तकों में हमारे महापुरुषों संबंधी जानकारियों का समावेश करा रहा है। एन.सी.ई.आर.टी. के पाठ्यक्रम में सुधार किया जाना स्वागत योग्य है। नयी पीढ़ी हमारे शलाका-पुरुषों से परिचित हो, यह शुभ कार्य है। ऐसे में खट्टर सरकार को अपनी भूल में तत्काल सुधार करने की आवश्यकता है।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’