किसान नेता गुलाम मोहम्मद जौला का निधन

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद निवासी गुलाम मोहम्मद जौला का आज सुबह हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वह मंच संचालन में माहिर थे। वहीं बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के बेहद करीबी थे। 

जानकारी के अनुसार लंबे समय तक भाकियू के मंचों पर संचालक रहे गुलाम मोहम्मद जौला का अपने आवास पर ही हृदय गति रुक जाने से इंतकाल हो गया। उन्होंने राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन बनाया था। मंच पर अपने मजाकिया अंदाज के कारण वह हमेशा लोगों के बीच लोकप्रिय बने रहे। किसान आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

कभी भाकियू की अधिकतर पंचायतों का संचालन करने वाले गुलाम मोहम्मद जौला को किसान आंदोलन के दौरान मंच पर संबोधन के लिए नहीं बुलाया गया, तो वह खुद ही माइक पर पहुंच गए थे।

उन्होंने कहा था कि क्या इस पंचायत में मुसलमानों को नहीं सुनना चाहते क्या? उन्होंने पूछा कि जो युवा भटक गया था वह वापस आया कि नहीं। इस पर युवाओं ने समर्थन में हाथ खड़े कर दिए थे। उन्होंने पंचायत में शामिल मुस्लिम समाज के लोगों से भी हाथ उठवाए और कहा कि आगे आएं और किसानों से जुड़े मामलों और पंचायतों में ज्यादा संख्या में शामिल हों।

जब जयंत ने छुए थे गुलाम मोहम्मद जौला के पांव
यही नहीं मुुजफ्फरनगर की पंचायत में जयंत चौधरी ने मंच पर गुलाम मोहम्मद जौला के पैर छुए थे। भैंसवाल में मंच पर आने पर गुलाम मोहम्मद ने जयंत चौधरी के सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया था।

किसान आंदोलन के दौरान मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत में मुजफ्फरनगर दंगे के बाद पहली बार ऐसा मौका था, जब रालोद, सपा, बसपा और कांग्रेस के साथ मुस्लिम किसान नेताओं ने मंच साझा किया था। यह ऐसा मौका था जब जाट और मुस्लिम तथा अन्य विपक्षी दलों के नेता एकमंच पर एकजुट हुए।

इस दौरान भी गुलाम मोहम्मद जौला ने भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत और रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी को मंच पर एक साथ खड़ा करके उनके के कंधों पर हाथ रखकर कसम दिलाई कि जाति व धर्म से ऊपर उठकर किसान अपने हकों के लिए एकजुट हो जाएं। 

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