सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला की विधानसभा सदस्यता की याचिका खारिज की

सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। शीर्ष कोर्ट ने अब्दुल्ला की याचिका खारिज कर दी। उन्होंने यूपी की स्वार सीट से विधायकी को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा निरस्त किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। 
सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका निरस्त करने से उनका निर्वाचन निरस्त ही रहेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें 25 साल से कम उम्र का मानते हुए चुनाव लड़ने से अयोग्य माना था और उनकी विधानसभा सदस्यता निरस्त कर दी थी।

दरअसल, अब्दुल्ला आजम ने स्वार सीट से विधानसभा चुनाव के लिए जब पर्चा भरा था तब उसमें उनकी दो जन्म तारीखों का जिक्र किया गया था। बाद में यह मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गया था। हाई कोर्ट ने अब्दुल्ला के निर्वाचन को रद्द कर दिया था। इसके बाद सपा नेता ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया। जस्टिस रस्तोगी और जस्टिस नागरत्ना की पीठ ने अब्दुल्ला आजम के वकील कपिल सिब्बल की ओर से दी गई दलीलें खारिज कर दीं। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को कायम रखा। 

बसपा प्रत्याशी ने हाईकोर्ट में दायर किया था केस

वर्ष 2017 में हुए चुनाव में अब्दुल्ला आजम सपा के टिकट पर रामपुर जिले की स्वार सीट से विधायक चुने गए थे। उन्होंने बसपा प्रत्याशी नवाब काजिम अली खान को मात दी थी। इसके बाद नवाब अली खान ने अब्दुल्ला आजम के शैक्षणिक दस्तावेज और जन्म प्रमाण पत्र में अलग-अलग जन्मतिथि को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उनका चुनाव रद्द करने की मांग की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके आरोप सही पाए थे और अब्दुल्ला आजम का निर्वाचन रद्द करने का आदेश दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इसी आदेश को अब्दुल्ला आजम ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 

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