सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मामलों की सुनवाई के लिए समयसीमा तय करने की हो पहल

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मामलों की सुनवाई के लिए समयसीमा तय करने के लिए पहल करने का समय आ गया है। अदालत ने कहा कि बहुत सीमित समय उपलब्ध है और एक ही मामले में वकीलों द्वारा तर्क दिए जाने की मांग की जा रही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब न्यायमूर्ति एम एन वेंकटचलैया भारत के मुख्य न्यायाधीश (1993-1994 में) थे तो मामलों की सुनवाई के लिए एक समय सीमा तय करने का सुझाव दिया गया था।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा- हमें अब इसके बारे में सोचने की जरूरत है। इस पर गंभीरता से विचार करें। यह सोच बहुत पहले से चली आ रही है लेकिन हमने उस पर अमल नहीं किया। डॉ. सिंघवी (वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी) याद कर सकते हैं कि मुख्य न्यायाधीश वेंकटचलैया के दौरान यह सुझाव दिया गया था कि सुनवाई के लिए एक समय सीमा होनी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। इसमें केंद्र द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को चुनौती देने वाले पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के एक आवेदन को कोलकाता से नई दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए कैट की प्रमुख पीठ के आदेश को रद्द कर दिया था।

इस मामले में केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से अदालत ने कहा कि इस संबंध में पहल की जाए। अदालत ने कहा, कृपया पहल करें। यही समय है। बहुत सीमित समय उपलब्ध है और कई वकील एक मामले में एक ही बिंदु पर बहस करना चाहते हैं। इस दौरान मेहता ने कहा, लार्डशिप पहल कर सकती है। हम केवल समर्थन कर सकते हैं।  

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