डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के विलियम लाई शिंग-ते ने ताइवान का राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है। चीन ने ताइवान के नागरिकों को लाई को वोट न देने की चेतावनी दी थी। इसके बावजूद लाई जीतने में सफल रहे। इसे बेहद उल्लेखनीय सियासी परिणाम माना जा रहा है। चीनी चुनौती को नजरअंदाज करते हुए ताइवान की जनता ने लाई का खुलकर समर्थन किया। देश के केंद्रीय चुनाव आयोग के मुताबकि लाई को 40.2 प्रतिशत वोट मिले।
कितने प्रतिशत वोट हासिल किए
ताइवान के चुनाव आयोग के हवाले से अलजजीरा की रिपोर्ट में कहा गया कि पूरे द्वीप पर 98 प्रतिशत मतों की गिनती पूरी हो चुकी है। प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार होउ यू-इह (Hou Yu-ih) ने भी हार स्वीकार करते हुए लाई जीत की बधाई दी है। मुख्य प्रतिद्वंद्वी होउ यू-इह तो 33.4 प्रतिशत वोट मिले। खबरों के मुताबिक होउ ने समर्थकों से इस बात के लिए माफी मांगी कि वे लाई की पार्टी- डीपीपी को सत्ता से बेदखल करने में नाकाम रहे।
शांति के पक्षधर हैं विलियम; चीन की नजर में खतरनाक…
चीन ने विलियम लाई को ‘खतरनाक अलगाववादी’ बताया है। राष्ट्रपति जिनपिंग खुलेआम सार्वजनिक मंचों से निंदा करते दिखे हैं। चीन ने बातचीत की अपील करने वाले विलियम लाई को भाव नहीं दिया। इसके बावजूद विलियम लाई जोर देकर कह चुके हैं कि वह शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि चीनी गुब्बारों को जलडमरूमध्य पार करते देखा गया है। एक गुब्बारा ताइवान के ऊपर से उड़ गया। ताइवान की तरफ से साफ किया गया है कि चीन गुब्बारों की मदद से जासूसी के प्रयास कर रहा है।
क्या हैं भावी राष्ट्रपति की नीतियां
ताइवान के भूभाग पर चीनी दावों को मुखरता से खारिज करने को लेकर खास पहचान रखने वाले लाई उपराष्ट्रपति के रूप में भी सेवाएं दे चुके हैं। ताइवान की अलग देश के रूप में पहचान का समर्थन करने वाले डेमोक्रेटिक नेता लाई की पार्टी देश के राष्ट्रीय चुनाव में तीसरी बार जीत हासिल करने में सफल रही है। उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान हर नागरिक के वोट को अहम करार दिया था। उन्होंने कड़ी मेहनत से अर्जित ताइवान के लोकतंत्र में को बचाने का आह्वान भी किया।
चुनाव पर अमेरिका और चीन की नजर, ताइवान चाहता है ‘स्वतंत्र पहचान’
चीन ने ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव को युद्ध और शांति के बीच एक विकल्प बताया। चुनाव पर अमेरिका की भी करीबी नजरें रहीं। चीनी आक्रामकता का अंदाजा इस बात से भी होता है कि जिनपिंग अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए ‘बल प्रयोग’ से इनकार नहीं करने जैसे बयान दे चुके हैं। दूसरी तरफ लाई स्पष्ट कर चुके हैं कि वह चीन के साथ सशर्त जुड़ाव के लिए तैयार हैं, लेकिन ताइवान की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जाएगा।
113 सीटों वाली संसद, चुनाव में बिके रिकॉर्ड 7.58 लाख रेल टिकट
अल-जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक मतदाताओं ने ताइवान की 113 सीटों वाली संसद के लिए राजनेताओं को चुना है। डीपीपी प्रमुख लाई की पार्टी विगत आठ साल से सत्ता में है। 20 साल से अधिक आयु के लगभग 19.5 मिलियन वोटर इस बात मतदान कर सकते थे। रिमोट लोकेशन से वोटिंग के अधिकार न होने के कारण लोगों को अपने मूल निवास पर लौटना पड़ता है। चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में यात्रियों ने रेल यात्राएं कीं। रिकॉर्ड मतदान का अनुमान इस बात से भी लगाया जा रहा है क्योंकि ताइवान रेलवे ने 7.58 लाख टिकट बेचने की बात कही। रेलवे के मुताबिक किसी भी चुनाव में इतनी बड़ी मात्रा में टिकट नहीं बिके।
चीनी नीतियों के धुर विरोधी नेता ने किन प्रतिद्वंद्वियों को दी मात
रूढ़िवादी पार्टी- कुओमितांग (के माई) के नेता होउ यू-इह (Hou Yu-ih) और ताइवान पीपुल्स पार्टी के नेता को वेन-जे (Ko Wen-je) भी राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल थे। वेन-जे ताइपे (Taipei) के पूर्व मेयर रह चुके हैं। ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव के बाद विलियम लाई की जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि विलियम लाई शपथ लेने के बाद चीन को खुलकर चुनौती देंगे। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) के प्रमुख लाई चीन और वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नीतियों के धुर विरोधी माने जाते हैं।
आठ दशक से भी अधिक पुराना है ताइवान-चीन टकराव
माना जा रहा है कि ताइवान की स्वतंत्रता की पैरवी करने वाले लाई को जिनपिंग प्रशासन से कड़ी चुनौती मिलेगी। दरअसल, जिनपिंग अपनी महत्वाकांक्षी और विस्तारवादी- वन-चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान को चीन का हिस्सा बताते रहे हैं। यह क्षेत्र राजनीतिक स्थिति के कारण बेहद महत्वपूर्ण भौगोलिग भूभाग है। ताइवान का चुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि करीब आठ दशक से चीन इस पर नजरें गड़ाए बैठा है। 1940 के दशक से ही वास्तविक रूप से स्वतंत्र होने के बावजूद, चीन ताइवान के द्वीपों और उसके बाहरी क्षेत्रों पर दावा करता रहा है।