तालिबान ने शुरू की नई सरकार बनाने की तैयारी, मुल्ला बरादर के हाथ होगा अफगानिस्तान की कमान!

काबुल: अफगानिस्तान में नई सरकार बनाने की तैयारी तालिबान ने तेजी से शुरू कर दी है। समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने नई अफगान सरकार की स्थापना को लेकर तालिबान के दूसरे नेताओं के साथ बातचीत शुरू कर दी है। करीब 20 सालों के बाद अफगानिस्तान में पैर रखने वाले अब्दुल गनी बरादर को लेकर कहा जा रहा है कि वो अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति हो सकता है।

जिहादी नेताओं से मुलाकात

तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एएफपी को बताया कि, “वह एक समावेशी सरकार के गठन के लिए जिहादी नेताओं और राजनेताओं से मिलने के लिए काबुल में होंगे।” बरादर मंगलवार को कंधार प्रांत करीब 20 सालों के बाद पहुंचा था। उसके साथ कई और तालिबान के नेता था, जहां उसका भव्य स्वागत किया गया। कंधार उतरने के बाद मुल्ला बरादर के समर्थन में एक बाइक रैली निकाली गई, जिसका वीडियो तालिबान की तरफ से जारी किया गया था। तालिबान की तरफ से कहा गया, ”आज दोपहर, मुल्ला बरादर अखुंद के नेतृत्व में अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल कतर से निकल गया और आज दोपहर हमारे प्यारे देश में पहुंचे और कंधार हवाई अड्डे पर उतरे हैं।’

20 सालों के बाद लौटा अफगानिस्तान

अफगानिस्तान मामलों के जानकारों के मुताबिक, जिस तरह से करीब 14 सालों तक पेरिस में रहने के बाद अयातुल्ला खुमैनी ईरान लौटा था, ठीक उसी तरह से मुल्ला बरादर करीब 20 सालों के बाद वापस अफगानिस्तान लौटा है। मुल्ला बरादर का जन्म 1968 में अफगानिस्तान के उरुजगन प्रांत में हुआ था और उसकी परवरिष कंधार में किया गया, जहां उसने मुल्ला बरादर के साथ मिलकर अमेरिका के समर्थन से सोवियत संघ के खिलाफ 1980 के दशक में मुजाहिदीन लड़ाई की शुरूआत की और फिर 1990 के दशक में पूरे अफगानिस्तान में गृहयुद्ध की आग लग गई। बाद में बरादर ने अपने पूर्व कमांडर मोहम्मद उमर के साथ कंधार में एक इस्लामिक स्कूल की स्थापना की, और दोनों ने मिलकर तालिबान की स्थापना की।

अफगानिस्तान में तालिबान का राज

अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद मुल्ला उमर और मुल्ला बरादर ने अफगानिस्तान में कट्टरपंथी इस्लामी अमीरात की स्थापना की। तालिबान ने 1996 में काबुल पर मार्च करने से पहले प्रांतीय राजधानियों पर जीत हासिल की, ठीक उसकी तरह से, जैसा इसबार तालिबान ने किया है। अफगानिस्तान पर शासन के दौरान बरादर ने पांच साल तक कई अलग-अलग भूमिकाएँ निभाईं। लेकिन, जब 2001 में अमेरिका ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया, तब वह अफगानिस्तान से फरार होकर पाकिस्तान आ गया, जहां बाद में मनमुटाव होने के बाद उसे 2010 में गिरफ्तार कर लिया गया।

अमेरिका ने बरादर को माना नेता

अमेरिका ने मुल्ला बरादर को तालिबान के शांति दल का नेता मान लिया। फरवरी 2020 में मुल्ला बरादर ने तत्कालीन अमेरिकी ट्रंप प्रशासन के साथ मिलकर कतर में दोहा समझौते पर हस्ताक्षर किया और अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ने का ऐलान कर दिया। तालिबान ने अमेरिका के साथ समझौते में कहा था कि वो देश में बंदूक के दम पर सत्ता हासिल नहीं करेगा, बल्कि वो गनी सरकार के साथ मिलकर अफगानिस्तान में जनतांत्रिक सरकार का निर्माण करेगा। लेकिन, अमेरिका देखता ही रह गया और तालिबान ने बंदूक के बूते अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया।

बरादर बनेगा अगला राष्ट्रपति !

तालिबान ने दावा किया कि उसने विदेशी ताकतों को अफगानिस्तान की जमीन से हटा दिया है और अशरफ गनी की ‘निकम्मी’ सरकार को देश में शासन करने का कोई हक नहीं था। अशरफ गनी अब देश छोड़कर जा चुके हैं और माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में अगला राष्ट्रपति मुल्ला बरादर को बनाया जाएगा। मुल्ला बरादर के अफगानिस्तान पहुंचने के बाद तालिबान ने अपने बयान में कहा कि ”हम तय करने जा रहे हैं कि देश के सामने किस तरह के कानून पेश किए जाएंगे। सभी लोगों की भागीदारी से यह सरकार की जिम्मेदारी होगी”।

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