केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट पर दबाव डालकर अयोध्या मामले में फैसला दिलवाया: अल्वी

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने केंद्र की भाजपा सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला केंद्र सरकार के दबाव में दिया गया। राशिद अल्वी ने यह आरोप पूर्व जस्टिस एस अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाए जाने के बाद लगाया है। बता दें कि जस्टिस अब्दुल नजीर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला दिया था। 

राशिद अल्वी बोले- न्यायपालिका में घटी लोगों की आस्था
कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि फैसला केंद्र सरकार के दबाव में दिया गया। न्यायपालिका को कार्यपालिका से स्वतंत्र होना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 50 में इसका जिक्र है’। राशिद अल्वी ने भाजपा सरकार पर धर्म के आधार पर देश को बांटने का भी आरोप लगाया और कहा कि जस्टिस नजीर को राज्यपाल बनाए जाने से लोगों की न्यायपालिका में आस्था घटी है। 

जस्टिस एस अब्दुल नजीर चार जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट जज के पद से रिटायर हुए। जस्टिस नजीर कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे, जिनमें तीन तलाक, अयोध्या-बाबरी विवाद, नोटबंदी मामला और निजता का अधिकार जैसे मामले शामिल हैं।

बोले- न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र होनी चाहिए
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि जजों को सरकारी पदों पर नियुक्त करना दुर्भाग्यपूर्ण है। रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार ने करीब 50 फीसदी रिटायर्ड जजों को सरकारी पदों पर नियुक्त किया है, इससे न्यायपालिका में लोगों का विश्वास कम हुआ है। उल्लेखनीय है कि पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को भी केंद्र सरकार ने राज्यसभा का सदस्य बनाया है। रिटायर्ड जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने ही राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला दिया था। इस पर राशिद अल्वी ने कहा कि सरकार को न्यायपालिका को स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए।  न्यायपालिका का कार्यपालिका से कोई रिश्ता नहीं होना चाहिए और सरकार की कोशिश होनी चाहिए कि न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र होनी चाहिए।  

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