शिक्षा माफिया को दोषमुक्त करने का फैसला रद्द

मुजफ्फरनगर में कोर्ट ने नकली मार्कशीट सप्लाई करने वाले शिक्षा माफिया के मामले में दिए गए निचली अदालत के दोष मुक्त करने के फैसले को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने शासन की ओर से दाखिल की गई केस की दोबारा सुनवाई की अपील स्वीकार भी कर ली है।

शहर कोतवाली पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर 14 वर्ष पूर्व 20 दिसंबर 2008 को रुड़की रोड स्थित बाबा कोचिंग सेंटर पर छापामारी की थी। छापेमारी के दौरान वहां पर कोचिंग सेंटर के मैनेजिंग डायरेक्टर इम्लाख पुत्र मोहम्मद इलियास को फर्जी मार्कशीट और दर्जनों मोहरों और अन्य दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार किया था। थाना प्रभारी निरीक्षक बलजीत सिंह ने धोखाधड़ी सहित विभिन्न गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।

आरोप था कि इम्लाख छात्रों से रुपये लेकर उन्हें फर्जी मार्कशीट उपलब्ध कराता था। मौके से सैकड़ों फर्जी मार्कशीट भी बरामद की गई थी। पुलिस ने बाबा कोचिंग सेंटर के मैनेजिंग डायरेक्टर इम्लाख के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराकर उनका चालान कर दिया था।

निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध की गई थी अपील

30 अप्रैल 2022 को दिए गए निर्णय के विरुद्ध शासन ने जिला ज़ज़ की अदालत में अपील दायर की थी। बताया गया कि निचली अदालत का निर्णय गैरकानूनी है। अभियोजन पक्ष को पूरा अवसर नहीं दिया गया। सुबूत का अवसर समाप्त कर सबूत के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया गया है।

अपील में मामले की सुनवाई एडीजे 3 गोपाल उपाध्याय की अदालत में हुई। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दोनों मामलों में अपील मंजूर करते हुए एसीजेएम सेकेंड मुकीम अहमद के फैसले को रद्द कर दिया। आदेश दिया कि मामले को दुबारा सुनवाई के लिए निचली अदालत को रिमांड किया जाता है। दोनों पक्ष 10 फरवरी 2023 को निचली अदालत में अपना पक्ष देंगे। अपील सुनवाई में सरकार की ओर से सहायक ज़िला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी, अरुण शर्मा और सतेंद्र कुमार ने ज़ोरदार बहस करके अपना पक्ष रख पैरवी की।

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