स्वदेशी रुस्तम-2 को डीआरडीओ ने बनाया और ”घातक”, अब 27 हजार फीट तक भर सकेगा उड़ान

पिछले लंबे वक्त से चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते काफी तनावपूर्ण रहे हैं। सेना लगातार मिसाइलों, हथियारों को और घातक बना रही है, जिससे किसी भी समय जरूरत पड़ने पर दुश्मन देशों के छक्के छुड़ाए जा सकें। अब डिफेंस रिसर्च एवं डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) द्वारा बनाए जा गए देसी ड्रोन रुस्तम-2 की तकनीक को भी अपग्रेड कर दिया गया है। इसके बाद ड्रोन पहले की तुलना में और अधिक मारक हो गया है।

अप्रैल महीने में इसकी कर्नाटक के चित्रदुर्ग में टेस्टिंग होने जा रही है, जिसके बाद यह एक नया रिकॉर्ड कायम करेगा। इस मामले से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि डीआरडीओ रुस्तम-2 को अप्रैल महीने में 27 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ाने जा रहा है, जो कि 18 घंटे तक उड़ेगा।

रुस्तम-2 को तापस-बीएच (टैक्टिकल एयरबोर्न प्लेटफॉर्म फॉर एरियल सर्विलांस बियोंड होराइजन 201) भी कहते हैं और इसने पिछले साल अक्टूबर में सफलतापूर्वक 16 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरी थी। डीआरडीओ ने इस ड्रोन को सटीक निशाना बनाने और दुश्मन के ठिकानों को भेदने के लिए बनाया है। रणनीतिक टोही और निगरानी कामों के लिए डिजाइन किए गए रुस्तम को लेकर सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह बहुत बड़ा कदम होने जा रहा है।

सैन्य हार्डवेयर विकसित करने के लिए भारत के पिछले प्रयास बहुत सफल नहीं हुए और देश को अपनी सैन्य आवश्यकता का 60% से अधिक इम्पोर्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश है। अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन के मामले में भारत पिछड़ गया था और उसे अमेरिका और इजराइल जैसे देशों से महंगी कीमत पर इम्पोर्ट करना पड़ता था।

डीआरडीओ द्वारा बनाए गए रुस्तम-2 ड्रोन को देखें तो यह सेना के लिए बनने वाले हथियारों को देश में बनाने की भारत की प्राथमिकताओं को दिखाता है। इसी कड़ी में, पिछले साल केंद्र सरकार ने अगले पांच सालों में इम्पोर्ट किए जाने वाले 101 तरह के हथियारों और गोला-बारूदों पर बैन लगाने की बात कही थी। इसमें मिसाइलों से लेकर पनडुब्बी तक शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रविवार को डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता हासिल करने पर फोकस करते हुए स्वदेशी युद्धक टैंक अर्जुन मार्क 1ए को सेना को सौंप दिया था। इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने 83 हल्के लड़ाकू विमान एमके-1ए को सेना को देने के लिए एचएएल को 48 हजार करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट की मंजूरी दी थी।

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