उत्तर प्रदेश के हर गाँव, कस्बे और शहर में आप निराश्रित गोवंश को घूमते देख सकते हैं जिनसे नागरिक बहुत परेशान हैं। कई स्थानों पर इन के कारण दुर्घटनायें भी हुई हैं। मुजफ्फरनगर की सड़कों पर या गन्दगी के ढेर पर कूड़ा, प्लास्टिक खाते, देखा जा सकता है। सरकार ऐसे, गोवंश की सुरक्षा के लिए गोसदन बनाने की घोषणा कर चुकी है। प्रति पशु 900 रुपये मासिक अनुदान भी मिलता है तो फिर करोड़ों रुपया व्यय होने के बाद भी समस्या क्यूं बनी हुई है?
सड़कों पर निराश्रित गोवंश को देख मानसिक कष्ट भी होता है। क्या इसका अर्थ यह लगाया जाए कि गोवंश संरक्षण के नाम पर बड़ी धनराशि भ्रष्टाचारियों के पेट में जा रही है? इस समस्या का निदान केवल बजट प्रावधान से होने वाला नहीं है अपितु इसकी जवाबदेही जिला अधिकारी, पशुधन अधिकारी, स्वायत्तशासी निकायों एवं ग्राम पंचायतों पर लागू करनी होगी। कृप्या मुख्यमंत्री जी इस संबंध में तुरन्त आदेश जारी करने का कष्ट करें।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’