उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सभी 75 जिलों में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम पंचायत प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्य के पदों के लिए पिछले महीने चार चरणों में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना रविवार सुबह आठ बजे से शुरू होकर मंगलवार की रात तक चली. हालांकि मतगणना पूरी होने के बाद आये नतीजों ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है. दरअसल 2022 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव से पहले हुए पंचायत चुनाव को यूपी का सेमीफाईनल माना जा रहा है.
राजनीतिक दलों खासतौर से बीजेपी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपनी-अपनी जीत के अलग-अलग दावे किये हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने मंगलवार को कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पार्टी को गांव-गांव तक सफलता मिली है. देव ने सोमवार को दावा किया था, “प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अब तक लगभग 45 हजार से अधिक ग्राम प्रधान व 60 हजार से अधिक क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव में पार्टी कार्यकर्ता-समर्थक विजयी हुए है.” उन्होंने कहा था, “प्रदेश में 918 सीटों पर बीजेपी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत चुकी है और अब तक मिली सूचना के अनुसार लगभग 450 से अधिक स्थानों पर जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों ने निर्णायक बढ़त ली है.”
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पंचायत चुनाव के नतीजों को आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की नाव डूबने के स्पष्ट संकेत करार देते हुए मंगलवार को कहा कि गांवों में ‘तीसरे इंजन’ की सरकार बनाने का भाजपा का सपना चकनाचूर हो गया है. अखिलेश ने एक बयान में कहा कि पंचायत चुनाव में सपा मतदाताओं की प्रथम वरीयता वाली पार्टी रही है. उन्होंने कहा कि बड़ी तादात में सपा की जीत के साफ संकेत है कि किसानों, नौजवानों और गाँव तक में उसकी स्वीकार्यता बरकरार है. उन्होंने कहा कि जनता ने पार्टी को जीत दिलाकर लोकतंत्र को बचाने का भी सराहनीय कार्य किया है. अखिलेश ने कहा, ‘‘वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज के अलावा आजमगढ़ से लेकर इटावा तक भाजपा की कोई चाल काम नहीं आई और तो और राज्य की राजधानी लखनऊ में भी जनता ने भाजपा को नकार दिया है.’’
इधर, कांग्रेस ने भी मंगलवार को दावा किया कि उत्तर प्रदेश में चल रहे पंचायत चुनावों में 389 पार्टी समर्थित उम्मीदवारों ने जिला पंचायत सदस्य का पद जीत लिया है. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा, “राज्य में चल रहे पंचायत चुनावों में 389 पार्टी समर्थित उम्मीदवारों ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता है.” उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पार्टी समर्थित उम्मीदवारों ने ग्राम पंचायतों के प्रधान पद पर भी जीत दर्ज की है.
अयोध्या में बीजेपी को तगड़ा झटका
बीजेपी के तमाम प्रयास किए जाने के बावजूद अयोध्या में पंचायत चुनाव के परिणाम पक्ष में नहीं रहे हैं. अयोध्या जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी के विधायक होने के बावजूद 40 में से सिर्फ आठ जिला पंचायत सीटों पर जीत मिली है. विपक्षी समाजवादी पार्टी का दावा है कि पिछले महीने हुए पंचायत चुनावों में उसे सबसे ज्यादा फायदा हुआ है और उसके समर्थन वाले उम्मीदवारों ने जिला स्तर पर 22 सीटें जीती हैं. वहीं बसपा का दावा है कि उसके उम्मीदवारों ने अयोध्या में जिला पंचायत की चार सीटें जीती हैं.
पश्चिमी यूपी में RLD का अच्छा प्रदर्शन
राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में पंचायत चुनावों में कामयाबी के साथ शानदार वापसी की है. साल 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद रालोद गुमनामी में डूब गई थी, मगर अब वह किसानों के आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका के साथ आगे बढ़ रही है. मेरठ में जिला पंचायत में रालोद ने आठ सीटें हासिल की हैं, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) और बीजेपी को छह-छह सीटें मिली हैं. मुजफ्फरनगर, शामली, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़ और बिजनौर में रालोद ने अच्छा प्रदर्शन किया है. खबर लिखे जाने तक कई सीटों की जानकारी नहीं मिल सकी थी, जहां नतीजे रालोद के पक्ष में आने की संभावना थी.
मुजफ्फरनगर में पार्टी को चार सीटें मिलीं, जबकि आजाद समाज पार्टी (भीम आर्मी) को छह सीटें मिलीं. यहां बीजेपी ने 13 और बसपा ने तीन सीटें जीतीं. शामली में रालोद ने 19 में से 6 सीटें और बुलंदशहर में चार सीटों पर जीत दर्ज की. रालोद ने अलीगढ़ में दस, मथुरा में आठ और बागपत में नौ सीटें जीती हैं. रालोद ने अयोध्या में भी एक सीट जीती है और अपनी उपस्थिति अब पश्चिमी यूपी से बाहर भी दिखाई है. ऐसे में रालोद आगामी विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए नया संकट बनकर उभर सकता है.
AAP से भी खतरा
दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में ऐतिहासिक जीत का दावा किया है. आप ने कहा कि पार्टी जीते हुए जिला पंचायत सदस्यों को राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव में मौका देगी. आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद संजय सिंह ने सोमवार को एक बयान में कहा कि पंचायत चुनाव के जरिए उनकी पार्टी की ग्रामीण इलाकों में जबरदस्त बैठ बनी है. पार्टी समर्थित सैकड़ों ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य और बीडीसी सदस्य चुनाव जीते हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी अपने जीते हुए समर्थित जिला पंचायत सदस्यों को उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में मौका देगी.
पहली बार पंचायत चुनाव मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी ने मैनपुरी, बांदा, रायबरेली और पीलीभीत जैसे कई जिलों में जीत की पुष्टी की है. उधर, जनता से मिले भरपूर समर्थन के लिए उसे धन्यवाद देते हुए सिंह ने दावा किया कि अब तक पार्टी समर्थित 70 से अधिक जिला पंचायत सदस्य और 200 से अधिक ग्राम प्रधान के प्रत्याशी जीत चुके हैं. कई परिणाम आने अभी बाकी हैं और बड़ी संख्या में प्रत्याशी दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे हैं.
चुनाव आयोग के मुताबिक उत्तर प्रदेश में चारों चरणों में ग्राम पंचायत प्रधान के 58,194, ग्राम पंचायत सदस्य के 7,31,813, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 75,808 तथा जिला पंचायत सदस्य के 3,051 पदों के लिए मत डाले गये. जिला पंचायत सदस्य के सात, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 2,005, ग्राम पंचायत प्रधान के 178 और ग्राम पंचायत सदस्य के 3,17,127 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं. इस प्रकार राज्य में चारों चरणों के चुनाव क्षेत्रों से कुल 3,19, 317 उम्मीदवार पहले ही निर्विरोध निर्वाचित घोषित किये जा चुके हैं.
उल्लेखनीय है कि राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह पर नहीं बल्कि अन्य प्रतीक चिन्हों के आधार पर कराया गया था, जिस वजह से सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत के अलग-अलग दावे कर रहे है. हालांकि राजनीतिक दलों ने जिला पंचायत सदस्य के पदों के लिए अपने-अपने समर्थित उम्मीदवार मैदान में उतारे थे