यह आरोप लगाते हुए कि मोदी सरकार के तहत अति-अमीर और मध्यम वर्ग के बीच “बढ़ती खाई” “अधिक से अधिक स्पष्ट” है, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सोमवार को कहा कि देश में बढ़ती आय असमानताओं को 2013-14 से 2021-22 तक आयकर रिटर्न का विश्लेषण “पुष्टि” करता है। उन्होंने इसको लेकर एक एक्स पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि 2013-14 से 2021-22 के आयकर रिटर्न के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से भारत जोड़ो यात्रा के मुख्य मुद्दों में से एक की पुष्टि होती है। बढ़ती आय असमानता का मुद्दा यात्रा के मुख्य मुद्दों में से एक था। मोदी सरकार में सबसे अमीर लोगों और मध्यम वर्ग के बीच बढ़ती खाई स्पष्ट रूप से नज़र आ रही है।
प्रमाण देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि 2013-14 में टॉप के 1% आयकरदाताओं की कमाई कुल आय का 17% थी। 2021-22 तक टॉप 1% की कमाई कुल का 23% हो गई। उन्होंन कहा कि इसके अलावा, सबसे अमीर लोगों की आय में बढ़ोतरी भी मध्यम वर्ग की तुलना में बहुत तेज़ी से हुई है। टॉप 1% आयकरदाताओं की आय में 2013-14 से 2021-22 तक साल-दर-साल 13% की बढ़ोतरी देखी गई। यह निम्न वर्ग वाले 25% आयकरदाताओं की आय की तुलना में 60% ज़्यादा तेज़ है। इतना ही नहीं, वास्तव में मुद्रास्फीति के लिए समायोजन के बाद, 25% सबसे निम्न वर्ग के आयकरदाताओं की वास्तविक आय 2019 की तुलना में 2022 में घट गई है।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि 25% सबसे निम्न वर्ग वालों की सकल आय 11% घटी है। इनकी आय वित्त वर्ष 2019 में ₹3.8 लाख करोड़ थी जो घटकर वित्त वर्ष 2022 में ₹3.4 लाख करोड़ रह गई। इसी बीच, टॉप 1% की वास्तविक आय वित्त वर्ष 2019 में ₹7.9 लाख करोड़ से 30% बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में ₹10.2 लाख करोड़ पहुंच गई। आंकड़े झूठ नहीं बोलते, सिर्फ़ प्रधानमंत्री बोलते हैं।