अनुच्छेद 370 हटने के बाद से पाकिस्तान परस्त अलगाववादी शांत नहीं बैठे है घाटी में आये दिनों आतंकी मुठभेड़ होती रहती है इसी के साथ गैर कश्मीरियों की लक्षित हत्याएं करने का सिलसिला थम नहीं रहा है। विशेष रूप से कश्मीरी पंडितों को निशाना बना कर मारा जा रहा है। इससे हिन्दू समाज में भय का वातावरण बना हुआ है।
शुक्रवार को अन्नतनाग जिले के एक प्राइवेट स्कूल में घुसकर लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने एक बिहरी और एक नेपाली कर्मचारी पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। घायलों की स्थिति बेहद ख़तरनाक बताई गयी है।
एक और आतंकी टारगेट किलिंग कर रहे है दूसरी और महबूबा मुफ़्ती और फारूक अब्दुल्ला जैसे पाकिस्तान परस्त नेता वातावरण को निरंतर खराब करने में लगे हुए है आतंकियों की धरपकड़ तो सेना करती है लेकिन फारूक और महबूबा जैसे देशद्रोही नेताओं पर कोई अंकुश नहीं है वास्तव में ये लोग ही टारगेट किलिंग को प्रोत्साहन देने में जुटे है।
सरकार को कश्मीर में दो मोर्चों पर लोहा लेना पड़ रहा है पहला आतंकियों से दूसरा अलगाववादी भारत विरोधी सोच के नेताओं से, अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर की समस्या पूर्ण रूप से हल नहीं हुई है वहां कश्मीरी पंडितों व गैर कश्मीरी नागरिकों की सुरक्षा महत्वपूर्ण समस्या है। सरकार इनसे भलीभांति वाकिफ है और समुचित समाधान अवश्य निकलने की आशा है।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’