बिहार की 13 करोड़ आबादी में एक भी ओलंपिक खिलाड़ी नहीं”: तेजस्वी यादव के दिल में दबी टीस बाहर आई

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार में खेलों की स्थिति को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि 13 करोड़ की आबादी वाले बिहार से एक भी खिलाड़ी ओलंपिक में भाग नहीं ले पाता है। यह प्रदेश के लिए शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि इसका मलाल मुझे हमेशा रहता है। बिहार में स्पोर्ट्स कोटे की नौकरियां भी सिर्फ करीबियों को ही मिलती है। इंफ्रॉस्ट्रक्चर की भी कमी है।

दूसरे राज्यों से खेलते हैं खिलाड़ी
तेजस्वी ने कहा कि मेरी इस भावना को राजनीतिक चश्मे से न देखा जाए। इस भाव को एक आम बिहारवासी, एक पूर्व खिलाड़ी और बिहार के एक खेल प्रेमी के रूप में देखा जाए। मुझे विश्वास है कि मेरी तरह बिहार के सभी पूर्व व वर्तमान खिलाड़ियों को बिहार का प्रतिनिधित्व करने का सपना रहा होगा।

लेकिन, यहां खेल कूद से जुड़े विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना, प्रशिक्षण सुविधाओं की कमी है। यहां के खिलाड़ी दूसरे राज्यों में जाकर खेलने को मजबूर हैं। बिहारी मूल के जिन खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। वह उन्होंने दूसरे राज्यों से प्रशिक्षण प्राप्त कर, वहां का प्रतिनिधित्व करके ही पाई है।

मणिपुर, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्य बहुत आगे
मणिपुर, हरियाणा और पंजाब जैसे छोटे और कहीं ज्यादा कम आबादी वाले राज्य खेल कूद के मामले में बिहार से बहुत आगे हैं। हरियाणा और पंजाब में एक निर्धारित स्तर पर नाम कमाने पर सरकारी नौकरी दी जाती है और अच्छा करने पर पदोन्नति भी दी जाती है।

बिहार में स्पोर्ट्स कोटे के नाम पर नौकरी तो है, पर उससे सरकार के करीबी लोगों को ही जैसे तैसे लाभ पहुंचाया जाता है। मणिपुर, जो एक छोटा राज्य है, वह दिखाता है कि अगर खेल कूद को संस्कृति का हिस्सा बना दिया जाए तो प्रतिभा स्वयं आगे आने लगती हैं।

राजद ने नई खेल नीति लाने की बात कही थी
नेता प्रतिपक्ष ने कहा- 2020 के विधानसभा चुनाव में एक नई खेल नीति को राजद के घोषणापत्र में शामिल किया था। एक पूर्व खिलाड़ी होने के नाते मेरी इच्छा है कि राज्य में हमारी जब भी सरकार बने, एक समयबद्ध सीमा के अंदर पूरे दृढ़ निश्चय से खेल कूद का विकास करेंगे।

खेल विश्वविद्यालय स्थापित कर रही सरकार
बिहार में खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने को लेकर तेजस्वी ने राज्य सरकार को धन्यवाद भी दिया। साथ ही कहा कि इसका निर्माण जल्द करना चाहिए। खेल विश्वविद्यालय में सरकारी फंड का दुरुपयोग न हो। यह देखने वाली बात होगी? उन्होंने यह भी कहा कि प्रशिक्षकों की एक बड़ी सेना तैयार कर उनसे गांव- गांव और स्कूल- स्कूल जाकर टैलेंट को खोजना चाहिए। उन्हें प्रशिक्षण दिलवाने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

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