पंजाब में भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के बीच हो सकता है गठबंधन

पंजाब में ‘भाजपा’ और ‘शिरोमणि अकाली दल’ मिलकर चुनावी ताल ठोक सकते हैं। लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर, दोनों दलों के बीच बातचीत चल रही है। अगले 48 घंटे में इन दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग का एलान संभव है। बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस बाबत संकेत दिया है कि पंजाब में दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। एक मीडिया हाउस के साथ बातचीत में शाह ने कहा, पंजाब के लिए अभी मध्यस्थता चल रही है। दो तीन दिन में स्थिति स्पष्ट होगी। इससे पहले शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने भी लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन होने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था, हम ‘लाइक माइंडेड’ पार्टियों के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि शिरोमणि अकाली दल के गठबंधन की सूची में ‘कांग्रेस’ और ‘आप’ शामिल नहीं है।  

तब एनडीए से बाहर हो गया था एसएडी

भाजपा से जुड़े नेताओं का कहना है, पंजाब में दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ें, इसके लिए बातचीत हो रही है। पहले भी दोनों दल साथ रहे हैं। 2020 में शुरू हुए किसान आंदोलन के दौरान, दोनों सहयोगी अलग हो गए थे। उस वक्त किसानों के समर्थन में ‘शिरोमणि अकाली दल’, एनडीए से बाहर हो गया था। लोकसभा चुनाव के लिए पंजाब में भाजपा और शिरोमणि अकाली दल की मौजूदा राजनीतिक स्थिति देखें, तो वह उनके हित में नहीं है। मतलब, दोनों पार्टियां अपने बलबूते पर चुनाव लड़ती हैं तो राजनीतिक नुकसान संभव है। लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के अधिकांश नेता, गठबंधन के पक्ष में हैं। हालांकि पिछले दिनों शुरू हुए किसान आंदोलन में दोनों दलों के बीच दूरी पैदा हो गई थी। तब सुखबीर बादल के अधिकांश सहयोगियों का कहना था कि किसान आंदोलन के चलते, एसएडी को भाजपा के साथ नहीं जाना चाहिए। इससे खासतौर पर पंजाब के ग्रामीण इलाकों में एसएडी को बड़ी राजनीतिक चोट लग सकती है।

दो-तीन दिन में स्थिति स्पष्ट होगी

अब किसान आंदोलन, शांत हो गया है। ऐसे में दोनों दल, गठबंधन के लिए आगे आए हैं। भाजपा नेता के मुताबिक, पंजाब की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में दोनों दल गठबंधन चाहते हैं। बहुत जल्द गठबंधन का औपचारिक एलान कर दिया जाएगा। बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, अभी मध्यस्थता चल रही है। दूसरी तरफ से एक ऑफर आता है, तो हम काउंटर ऑफर दे देते हैं। गठबंधन को लेकर जारी इस प्रक्रिया को हां या ना में नहीं देखना चाहिए। दो तीन दिन में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। हम चाहते हैं कि एनडीए के सभी साथी एक साथ आ जाएं। हालांकि इसमें भाजपा को उसका उचित हिस्सा व कार्यकर्ताओं का सम्मान, वो भी हमारी चिंता का विषय है। इससे पहले खुद सुखबीर बादल भी गठबंधन को लेकर इशारा कर चुके हैं। पिछले दिनों बादल ने कहा था, पंजाब को बचाने के लिए अकाली दल किसी भी राजनीतिक दल से हाथ मिला सकता है।

दोनों दलों को इसका फायदा मिलेगा

भाजपा नेता एवं पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़ भी चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच गठबंधन का होना जरूरी है। दोनों दलों को इसका फायदा मिलेगा। इससे पंजाब की राजनीति में बड़ा बदलाव संभव है। विधानसभा चुनाव 2022 में आम आदमी पार्टी को 117 में से 92 सीटें मिली थीं। कांग्रेस पार्टी 18 सीटों पर सिमट गई थी।  शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के खाते में केवल तीन सीटें आई थीं, जबकि भाजपा ने दो सीटों पर जीत दर्ज कराई। संगरूर और जालंधर लोकसभा उपचुनाव में दोनों पार्टियां के हाथ कुछ नहीं लगा। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिरोमणि अकाली दल, पंजाब में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। दूसरी तरफ, भाजपा के लिए भी ऐसी ही स्थिति है।

सात-आठ सीटों पर भाजपा का दावा

पंजाब के शहरी इलाकों में भाजपा का कुछ जनाधार है, लेकिन गांव में पार्टी ज्यादा कुछ नहीं कर सकी। दूसरी ओर, शिरोमणि अकाली दल का ग्रामीण इलाकों में अभी वोट बैंक बचा है, लेकिन शहरों में एसएडी की स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में दोनों दल मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ते हैं, तो पंजाब की 13 सीटों पर कड़ा मुकाबला हो सकता है। भाजपा का प्रयास है कि गठबंधन के तहत उसे सात-आठ सीटें दी जाएं।

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