देर से गन्ना मूल्य भुगतान की समस्या का स्थायी समाधान हो !

25 नवंबर: इस समाचार पर सन्तोष प्रकट किया जाना चाहिये कि शामली के अपर दो आब चीनी मिल के प्रबंधन और धरनारत गन्ना उत्पादकों के बीच समझौता होने से मिल का नया पिराई सत्र आरम्भ होने का रास्ता साफ हो गया है।

गौरतलब है कि पिछले सत्र का बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान तथा नये सत्र में 14 दिनों के भीतर भुगतान किये जाने की मांग को लेकर किसान 95 दिनों से धरना दे रहे थे। शामली के अपर जिलाअधिकारी संतोष कुमार सिंह, मिल के अधिकारियों व धरना संयोजक संजीव शास्त्री के मध्य हुई वार्ता में तय हुआ कि किसान वर्तमान पिराई सत्र में जो गन्ना सप्लाई करेंगे, उसके मूल्य का भुगतान मिल 14 दिनों के भीतर कर देगा। पिछले सत्र के अवशेष धन का भुगतान वर्तमान सत्र के समापन से पूर्व ही कर दिया जाएगा।

समय पर गन्ना मूल्य का भुगतान न होना एक पुरानी व जटिल समस्या है। सरदार वी. एम. सिंह इस मसले को लेकर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के दरवाज़े खटखटाते ही रहते हैं और आन्दोलन जीवी नेता इस मुद्दे को सुलगाये रख कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते रहते हैं।

इस प्रश्न का जवाब कौन देगा कि उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े चीनी उद्योग की स्थिति इतनी बदहाल क्यूँ बनी रहती है कि वह गन्ना लेने के बाद उसकी कीमत देने में किसानों को परेशान करने का आदी हो गया है और गन्ना उत्पादकों को अपनी फ़सल का मूल्य लेने के लिए महीनों-महीनों धरना देना पड़‌ता है। यह न सिर्फ मिल मालिकान के लिए बल्कि शासनतंत्र चलाने वालों के लिए भी लज्जाजनक स्थिति है। गन्ना मूल्य का उचित व सही समय पर निर्धारण, समय से भुगतान व गन्ना मूल्य पर ब्याज की अदायगी के मसले तो सरकारी स्तर पर तय होने हैं।

अत्यधिक खेद का विषय है कि हर पार्टी की सरकार किसी न किसी बहाने मिल मालिकान के हितों को तवज्जो देती है और किसानों के हितों की उपेक्षा करती है। यदि चीनी उद्योग आर्थिक संकट में चल रहा है तो सरकार को प्राथमिकता के आधार पर उसकी मदद करनी चाहिये लेकिन किसानों को भी आर्थिक संकट से बचाये रखना सरकार का प्रथम कर्त्तव्य है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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