बंगाल से गुजरात तक ऐसे बदलेगा समुंदर, भारत में होंगे दुनिया में सबसे ज्यादा पोर्ट: श्रीपद नाईक

केंद्रीय पर्यटन, पोत एवं समुद्री परिवहन राज्यमंत्री श्रीपद नाईक ने बताया कि भारत दुनिया का ऐसा पहला देश होगा जो अपने तकरीबन दस हजार तटों को न सिर्फ व्यवसायिक रूप से समृद्ध बनाएगा, बल्कि समुद्र के माध्यम से दुनिया के सबसे बड़े ‘ओसियन क्रूज टूरिज्म’ को भी आगे बढ़ाएगा। योजना के मुताबिक भारत के पश्चिम बंगाल में बे ऑफ बंगाल से शुरू होकर गुजरात के समुद्र तटों वाले छोटे-छोटे शहरों और गांवों के बीच में इतने पोर्ट बनाए जा रहे हैं, जोकि समुद्र तटों की आबादी को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक रूप से मजबूत भी करेगा। योजना के मुताबिक जल्द ही इस तरह के अनोखे टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके तहत सरकारी और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के साथ में क्रूज टूरिज्म की और ज्यादा एंट्री की जाएगी। पेश हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश…

सवाल: अब तो पर्यटन के लिहाज से काफी कुछ सामान्य हो रहा होगा। कोरोना के बाद किस तरीके की तैयारियां करके आप लोग पर्यटन को आगे बढ़ा रहे हैं?

जवाब: कोरोना के बाद अब तो बहुत कुछ सामान्य हो रहा। कुछ राज्य तो ऐसे हैं जहां पर पर्यटन 2019 के शुरुआत वाली स्थिति में आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने पर्यटन को बूस्टर डोज देने के लिए जो प्रयास किए हैं, वह सफल हो रहे हैं। हम लोग लगातार कॉन्फ्रेंस, एक्सपो करके टूरिज्म को प्रमोट कर रहे हैं। तकरीबन सात आठ राज्य ऐसे हैं जो पर्यटन के अपने पुराने स्वरूप में वापस आ चुके हैं। बाकी सब राज्यों में भी बहुत जल्दी स्थितियां सुधर जाएंगी।  

सवाल: आपके पास तो जल परिवहन मंत्रालय और पोत मंत्रालय भी है। क्या पर्यटन के नजरिए से जल परिवहन जिसमे गंगा जैसी नदियां और समुद्री मार्गों पर टूरिज्म की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है?

जवाब: बिल्कुल। जल परिवहन के माध्यम से सिर्फ पर्यटन ही नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करने की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। कई जगहों पर तो इसके माध्यम से टूरिज्म और अन्य व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। मसलन आप देखिए जो समुद्री इलाके हैं, वहां पर हम लोगों ने छोटे-छोटे पोर्ट बनाने शुरू कर दिए हैं। इन पोर्ट के माध्यम से आसपास के इलाकों में व्यवसाय करने वाले लोगों को अपने सामान को दूसरी जगह पर पहुंचाने में न सिर्फ आसानी हुई है, बल्कि उनको बड़ा बाजार भी मिलना शुरू हो गया है। पर्यटन के लिहाज से समुद्र में हम लोग ओसियन टूरिज्म के साथ-साथ क्रूज टूरिज्म को बढ़ावा देने जा रहे हैं।

सवाल: छोटे-छोटे बंदरगाह (पोर्ट) बनाना और बड़े पोर्ट के साथ उनको कनेक्ट करना, यह तो सागरमाला परियोजना का हिस्सा है। उसमें क्या अभी स्थिति है?

जवाब: आप देखिएगा कि आने वाले दिनों में भारत दुनिया का इकलौता देश होगा, जहां सबसे ज्यादा छोटे-छोटे पोर्ट होंगे। जो देश और दुनिया के सभी बड़े पोर्ट से कनेक्ट होंगे। इसका सीधा-सीधा उद्देश्य समुद्र के तट पर रहने वाले लोगों की व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ दुनिया और देश के अलग-अलग हिस्सों में ट्रांसपोर्टेशन के सुलभ और सबसे सहज माध्यम उपलब्ध कराना है। इस वक्त देश में पश्चिम बंगाल से लेकर गुजरात के समुद्र तटीय हिस्सों में तकरीबन सौ से ज्यादा छोटे-छोटे पोर्ट बनकर तैयार हो गए हैं, जो अब पूरी तरीके से व्यावसायिक गतिविधियों में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। अभी सैकड़ों छोटे-छोटे पोर्ट और बनाए जाने हैं। सड़क और रेल परिवहन की तुलना में जल परिवहन सबसे सस्ता है और इको फ्रेंडली भी है।

सवाल: समुद्री टूरिज्म को लेकर क्या योजना है, उस पर किस तरीके से काम किया जा रहा है?

जवाब: बहुत जल्द ही भारत समुद्री टूरिज्म में पूरी दुनिया में अलग मुकाम बनाने वाला है। आप समुद्र तट से पश्चिम बंगाल से चल कर गुजरात के समुद्र तटों तक पहुंच सकते हैं। अभी इस तरीके के लंबी दूरी के क्रूज नहीं चल रहे हैं। लेकिन जल्द ही क्रूज टूरिज्म के माध्यम से भारतीय समुद्री तटों को एक्सप्लोर करने का पूरा रोड मैप तैयार कर लिया गया है। इसमें अलग-अलग पैकेज भी शामिल होंगे। सरकारी पोत के सिवा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के माध्यम से भी इस टूरिज्म को बढ़ाया जाएगा। अभी अपने देश में कुछ जगहों पर प्राइवेट क्रूज टूरिज्म तो होता है, लेकिन उसको विस्तार देने की जरूरत है और सरकार इस पर काम कर रही है। और यह अपने में सबसे अनोखा टूरिज्म होगा। कोशिश भी की जा रही है कि इंटरनेशनल ट्रेवल भी शिप के माध्यम से किया जाए। जिसमें समुद्री तटीय वाले देशों को जोड़ा जाएगा। इस दिशा में भी काम किया जा रहा है।

सवाल: वैलनेस टूरिज्म को लेकर के कुछ योजनाएं केंद्र सरकार ने बनाई थीं। आपके पास पहले आयुष मंत्रालय की भी जिमेदारी थी। तो एक प्रस्ताव भी बना था कि जो वैलनेस सेंटर होंगे उनको टूरिज्म के माध्यम से जोड़ा जाएगा।

जवाब: हां, यह टूरिज्म का संयुक्त प्रयास है। इसमें पर्यटन मंत्रालय और आयुष मंत्रालय दोनों मिलकर वैलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देंगे। पूरी दुनिया में आयुर्वेद, योगा, युनानी, सिद्धा और होम्योपैथी की सबसे ज्यादा एक्सेप्टेंस हो रही है। तो उस टूरिज्म को प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ाया जा रहा है। केंद्र सरकार ने इसके लिए बड़े प्रयास भी किए हैं।

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