ऐसे करें दिवाली पर लक्ष्‍मी-गणेश की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और मंत्र

नई दिल्ली: दिवाली के त्योहार का सभी को बड़ी बेससब्री से इंतजार रहता है. इस बार कोविड प्रतिबंधों के हटने के कारण लोगों में इसे लेकर एक बार फिर से गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है. यह त्योहार खुशियां, उमंग और उत्साह लेकर आता है जिससे हर किसी में नई ऊर्जा का संचार भी होता है. वहीं घर की साफ सफाई के बाद लोग माता लक्ष्मी और भगवान गणेश के पूजन की तैयारियों में जुट जाते हैं.

इस बार दिवाली का यह त्योहार, 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस असवर पर यदि आपको माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करनी है और पंडित उपलब्ध नहीं है तो घबराइए नहीं. ईटीवी भारत आपके लिए लेकर आया है दिवाली की संपूर्ण पूजन विधि (diwali lakshmi ganesh pujan vidhi) जिससे आप बिना किसी पंडित के भी माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन-अर्चन कर उनकी कृपा पा सकते हैं.

पूजन सामग्री:दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा करने के लिए रोली, चावल, कलावा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, बताशे, मिष्ठान, इत्र, गुलाब और कमल के फूल, माला, फल, आदि ले लें. साथ ही मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति, श्री यंत्र, कुबेर यंत्र, कमलगट्टे की माला, कौड़ी, श्रीफल, एकाक्षी नारियल आदि भी पूजन के समय रखें.

ऐसे करें पूजा:सबसे पहले साफ कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ती स्थापित करें. इसके बाद तीन बार जल पीकर आचमन करें. तत्पश्चात हाथ में जल, पुष्प और कुछ पैसे लेकर संकल्प बोलें. आप संकल्प हिंदी में भी बोल सकते हैं.

संस्कृत में आप इस प्रकार से संकल्प कर सकते हैं-

हरि ओम् तत्सत्

अद्य __ गोत्रोत्पन्न: __ नामोऽहम् संवत 2079 कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस्या तिथौ सोमवासरे __ नगरे/ ग्रामे दीपावली पुण्यपर्वणि आयुष्यम् आरोग्यं वर्धनार्थम् धनधान्यादि संपदार्थम् गणेशं महालक्ष्मीं प्रसन्नार्थम्. श्री गणेश लक्ष्मी पूजनं दीपावली च पूजनं करिष्ये.

वहीं हिंदी में इस प्रकार से संकल्प कर सकते हैं-

ओम् तत्सत्

आज मैं __ गोत्र में उत्पन्न __ संवत 2079 कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को दिवाली पर्व की शुभ बेला में मैं अपने परिवार सुख शांति के लिए, धन धान्य वृद्धि के लिए एवं मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूजन करूंगा. ऐसा बोलकर हाथ में रखा जल, पुष्प व पैसे गणेश जी सामने रख दें. इसके बाद भगवान श्रीगणेश, माता लक्ष्मी की मूर्ती को पुष्प माला अर्पित कर उन्हें खीर, बताशे, फल, मिष्ठान इत्यादी का भोग लगाएं और श्रीगणेश, माता लक्ष्मी के साथ इंद्र, वरुण, कुबेर, नवग्रह देवताओं का पूजन करें. इसके बाद कमलगट्टे की माला से इनमें से एक मंत्र का जाप करें.

– ओम् श्रीं ह्लीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ओम् श्रीं ह्लीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
– ॐ श्रीं श्रियै नमः
– ॐ महालक्ष्म्यै नमः

दिवाली शुभ मुहूर्त

– कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारंभ : 24 अक्टूबर को 06:03 बजे
– कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त : 24 अक्टूबर 2022 को 02:44 बजे
– अमावस्या निशिता काल : 24 अक्टूबर 23:39 से 00:31 मिनट
– कार्तिक अमावस्या सिंह लग्न : 24 अक्टूबर 00:39 से 02:56 मिनट
– दिवाली 2022 : 24 अक्टूबर 2022
– अभिजीत मुहूर्त: 24 अक्टूबर सुबह 11:19 से दोपहर 12:05 तक
– विजय मुहूर्त: 24 अक्टूबर दोपहर 01:36 से 02:21 तक

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का समय व मुहूर्त

-लक्ष्मी-गणेश पूजन समय मुहूर्त: 24 अक्टूबर शाम 06:53 से रात 08:16 तक
-पूजा अवधि : 1 घंटे 21 मिनट
-प्रदोष काल : 17:43:11 से 20:16:07 तक
-वृषभ काल : 18:54:52 से 20:50:43 तक

इसके बाद आरती कर के परिवार के सदस्यों में प्रसाद वितरण करें. याद रखें, यदि आप मिट्टी से बने लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करते हैं तो पिछले साल की लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ती को मंदिर से हटाकर विसर्जित कर दें. इसके अलावा, अपने दुकान में बहीखाते, कंप्यूटर आदि का भी पूजन करें, क्योंकि पूरे वर्ष इन्हीं पर व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियां होती हैं. साथ ही एक थाली में 11 या 21 मिट्टी के दीए जलाएं और दीप मालिका पूजा करके उन्हें द्वार, छत और घर के अन्य स्थानों पर रखें.

लक्ष्मी पूजन के बाद घंटी और शंख न बजाएं: ऐसा कहा जाता है कि आरती के बाद देवी-देवता विश्राम करते हैं, इसलिए उसके पश्चात शंख और घंटी बजाने से उनकी निद्रा में बाधा आती है. इसीलिए मां सरस्वती, मां दुर्गा और मां लक्ष्मी के पूजन (Goddess Lakshmi Diwali Pooja Vidhi) में रात्रि को घंटी एवं शंख नहीं बजाना चाहिए. घंटी बजाने का तात्पर्य होता है कि मां लक्ष्मी को घर से बिदा करना. इसलिए अपने संस्थानों में दिन में लक्ष्मी-गणेश के पूजन के बाद आरती के समय शंख व घंटी बजा सकते हैं किंतु रात्रि में अपने घर में लक्ष्मी-गणेश पूजन के समय घंटी एवं शंख नहीं बजाना चाहिए.

दो दीपक जलाएं: दिवाली पूजन (Diwali Pooja 2022) के समय दो बड़े दीपक जलाएं जो रात भर जलते रहें. दिवाली पूजन में अक्सर बड़े दीपक जलाए जाते हैं. एक सरसों के तेल का और एक घी का दीपक. मां लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) और भगवान गणेश की मूर्ति के दाहिनी ओर घी का दीपक रखें और बायीं ओर तेल का दीपक रखें. तेल का दिया इतना बड़ा होना चाहिए जो पूरी रात जलता रहे. इसका तात्पर्य है कि घर में पूरी रात प्रकाश रहे, जिससे मां लक्ष्मी के घर में आने का पथ प्रदर्शन होता रहे. प्राचीन काल में महिलाएं प्रातः काल उसी दीपक पर एक खाली दिया रखकर काजल उतारती थी, जो बच्चों व बड़ों को लगाया जाता था. इससे परिवार के सदस्यों और बच्चों के रूप लावण्य में निखार आता था और नजर नहीं लगती थी. इसलिए उसी दीपक पर कोई खाली दीपक रखकर काजल उतारें और उसका प्रयोग करें.

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