कानपुर। गिफ्ट व लाटरी के नाम पर ठगी करने वाली नाइजीरियन ठग मोसिस की साथी मैंडी भी क्राइम बांच के हत्थे चढ़ गई। मोसिस के पकड़े जाने के बाद वह चोरी-छिपे ढंग से उसे बचाने के लिए पैरवी करने दिल्ली से कानपुर शहर आई थी। मोसिस के साथियों की तलाश में लगी क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे गुरुदेव चौराहे के पास से गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से ठगी के काम में इस्तेमाल किये जाने वाले पाांच फोन भी बरामद हुए हैं। पुलिस मोसिस के बाकी साथियों की तलाश में जुटी है।
नाइजीरिया निवासी और लोगों को बरगला कर उन्हें ठगी करने वाले ओकुवारिमा मोसिस की महिला मित्र अलीशा उर्फ मैंडी को भी क्राइम ब्रांच ने पकड़ लिया। मैंडी मूलरूप से मेघालय राज्य के शिलांग की रहने वाली है। हिन्दी भाषा को बखूबी समझने और बोलने वाली मैंडी ही पीड़ितों को कस्टम विभाग या आयकर विभाग की अधिकारी बनकर फोन करती थी। जो अरदब में न आता उसे मुकदमे में फंसाने की धमकी देती थी। इसके बाद अपने खातों में रुपये ट्रांसफर करवा लेती थी।
तीन जून को एक महिला ने फोन करके युवती को कस्टम विभाग का अधिकारी बताया और टैक्स, मनीलैंडिंग प्रमाणपत्र आदि के नाम पर करीब 4.05 लाख रुपये खाते में जमा करा लिए थे। नवाबगंज थाने में लिखे गए मुकदमे की तफ्तीश में जब क्राइम ब्रांच ने मोसिस को पकड़ा और उसकी कॉल डिटेल निकलवाई तब मैंडी का पता चला। यह कॉल डिटेल ही उसके लिए काल बन गई। मूलरूप से शिलांग की रहने वाली मैंडी वर्तमान में दिल्ली के मालवीय नगर में रह रही थी।
आनलाइन बेचती थी कपड़े
पूछतांछ में मैंडी ने बताया कि मोसिस के सम्पर्क में आने से पहले वह दिल्ली में ऑनलाइन कपड़े बेंचने का काम करती थी। जब मोसिस से सम्पर्क हुआ तब वह भी पैसों के लालच में आकर ठगी करने में उसका सहयोग करने लगी। मैंडी ने बताया कि अभी उसके गैंग में कई और सदस्य हैं लेकिन वह उनका नाम और पता नहीं जानती है। मैंडी की कॉल डिटेल में भी पुलिस को कई अन्य लोगों के नम्बर मिले हैं।
पंखा रोड पर होती थी मीटिंग
पूछतांछ मे पकड़ी गईं मैंडी ने बताया कि मोसिस व उसके साथी दिल्ली के पंखा रोड स्थित एक चर्च में मीटिंग करते थे। वहीं मीटिंग में अगले शिकार की ठगी की प्लांनिंग बनाई जाती थी। इसके साथ ही सारी चीजें अपडेट करने के लिए व्हाट्सएप का एक ग्रुप भी बनाया गया था। इसमें उसके साथ ही कई नाइजीरियन युवक, युवतियां और भारतीय लोग भी शामिल हैं।
प्री एक्टिवेटेड सिम का इस्तेमाल
अलीशा उर्फ मैंडी के पास जो फोन नम्बर बरामद हुआ वह प्री-एक्टिवेटेड नम्बर था, जो कि जनपद बदायूं के रहने वाले एक युवक के नाम पर जारी हुआ था। इन प्री-एक्टिवेटेड नम्बरों को मोसिस उपल्बध कराता था।
यह है पूरा मामला
युवतियों कि पहले फेसबुक और इंस्टाग्राम पर दोस्ती कर लेना और इसके बाद उन्हें वाट्सएप नम्बर लेकर चौटिंग करना। फिर महंगे गिफ्ट भेजना और उसके बाद ही गिफ्ट पर कस्टम ड्यूटी के नाम पर अपने एकाउंट में रुपये डलवा लेना। फिर न दोस्त का पता और न ही उसके भेजे गिफ्ट का। यही काम करते हुए कई युवतियों को ठगी का शिकार बनाने वाला नाइजीरियन युवक पुलिस के हत्थे चढ़ गया। नवाबगंज थाने में लिखे गए मुकदमें की जांच कॉल डिटेल व अन्य रिकार्ड के आधार पर क्राइम बांच ने अभियुक्त ओकुवारिमा मोसिस को गिरफ्तार किया, जो मूलरूप नाइजीरिया का रहने वाला है और वर्तमान में महावीर नगर नई दिल्ली में रह रहा।