टिपरा मोथा प्रमुख प्रद्योत किशोर ने अचानक राजनीति छोड़ने का एलान कर चौंकाया

त्रिपुरा के क्षेत्रीय राजनीतिक दल टिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने मंगलवार को घोषणा की कि वह अब राजनीति नहीं करना चाहते हैं और लोगों को कुछ देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति और सार्वजनिक जीवन छोड़ने का फैसला किया है। 

कौन हैं राजा प्रद्योत देबबर्मा?
चार जुलाई 1978 को दिल्ली में पैदा हुए प्रद्योत बिक्रम मनिक्य देबबर्मा त्रिपुरा के 185वें महाराजा कीर्ति बिक्रम किशोर देबबर्मा के इकलौते बेटे हैं। राजशाही परंपरा खत्म होने के बाद महाराजा कीर्ति बिक्रम किशोर देबबर्मा भी राजनीति में उतर आए थे। कांग्रेस से जुड़े और सांसद चुने गए। उनकी पत्नी महारानी बीहूबी कुमारी देवी भी कांग्रेस के टिकट पर दो बार विधायक चुनी गईं थीं। वह त्रिपुरा सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। प्रद्योत की पढ़ाई शिलॉन्ग में हुई।

 कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बनाई

युवावस्था में ही प्रद्योत देबबर्मा ने भी राजनीति में कदम रख दिया था। कांग्रेस युवा मोर्चा से जुड़ गए और त्रिपुरा में आदिवासी वर्ग के लिए आवाज उठाने लगे। वह त्रिपुरा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2019 में कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने टिपरा मोथा का गठन किया। शुरू में यह गैर राजनीतिक संगठन था। हालांकि, 2021 में स्थानीय चुनाव में ताल ठोककर प्रद्योत बिक्रम के संगठन ने राजनीतिक पारी की शुरूआत की।

 ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग रखी
कांग्रेस से अलग होने के बाद प्रद्योत ने ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग रखी। प्रद्योत का कहना है कि, ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ मौजूदा त्रिपुरा राज्य से अलग एक राज्य होगा। नई जातीय मातृभूमि मुख्य रूप से उस क्षेत्र के स्वदेशी समुदायों के लिए होगी जो विभाजन के दौरान पूर्वी बंगाल से भारत आए बंगालियों की वजह से अपने ही क्षेत्र में अल्पसंख्यक हो गए थे। 

अलग राज्य की मांग क्यों?
1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान बंगाली लोगों की एक बड़ी संख्या ने त्रिपुरा में शरण ली। जनगणना 2011 के अनुसार, बंगाली त्रिपुरा में 24.14 लाख लोगों की मातृभाषा है जो यहां की 36.74 लाख आबादी में से दो-तिहाई है। प्रद्योत अलग राज्य की मांग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अलग राज्य आदिवासियों के अधिकारों और संस्कृति की रक्षा करने में मदद करेगा, जो बंगाली समुदाय के लोगों के आ जाने से अब अल्पसंख्यक हो गए हैं। 

पार्टी का सियासी सफर
त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद के 2021 के चुनावों में टिपरा मोथा ने 30 में से 18 सीटें जीतीं। इसके बाद त्रिपुरा विधानसभा चुनाव 2023 में टिपरा मोथा ने 60 में से 13 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई। पार्टी ने विधानसभा चुनाव में सिर्फ 42 प्रत्याशी ही उतारे थे।

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