पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष के मद्देनज़र, रूस, चीन और पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एक तात्कालिक और बिना किसी शर्त के युद्धविराम का मसौदा प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य क्षेत्रीय शांति को बहाल करना और सैन्य गतिविधियों पर रोक लगाना है। तीनों देशों ने आग्रह किया है कि सभी पक्ष तुरंत संघर्षविराम लागू करें और संवाद के ज़रिए समाधान खोजें। यह पहल ऐसे समय में सामने आई है जब अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, जिससे पूरे इलाके में तनाव और अधिक बढ़ गया है।
अमेरिका ने चीन से की ईरान पर प्रभाव डालने की अपील
इसी दौरान, अमेरिका ने चीन से अनुरोध किया है कि वह ईरान को समझाए कि वह होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने से परहेज करे। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने रविवार को दिए बयान में कहा कि यदि ईरान इस महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग को बंद करता है, तो इसका असर वैश्विक तेल आपूर्ति और व्यापार पर गंभीर रूप से पड़ सकता है। रुबियो ने कहा कि चीन की ईरान के साथ गहरी बातचीत होती है और अमेरिका को उम्मीद है कि वह क्षेत्र में स्थिति को शांत करने में अहम भूमिका निभाएगा। यह बयान ऐसे समय आया है जब पश्चिम एशिया में टकराव की आशंका तेजी से बढ़ रही है।
होर्मुज जलडमरूमध्य का रणनीतिक महत्व
फारस की खाड़ी और अरब सागर के बीच स्थित होर्मुज जलडमरूमध्य से दुनिया का लगभग 20 प्रतिशत कच्चा तेल गुजरता है। यदि यह रास्ता अवरुद्ध होता है, तो वैश्विक ऊर्जा बाजार पर व्यापक असर पड़ सकता है। ईरान की ओर से इस मार्ग को बंद करने की लगातार दी जा रही धमकियों ने ऊर्जा संकट की आशंका को और गहरा कर दिया है, खासकर वर्तमान स्थिति में जब इस्राइल के साथ तनाव और अमेरिकी कार्रवाई ने हालात को जटिल बना दिया है।
रूसी प्रतिक्रिया: अमेरिकी हमलों की तीखी आलोचना
रूस ने ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा करते हुए इन्हें गैर-जिम्मेदाराना और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि किसी भी परिस्थिति में किसी संप्रभु राष्ट्र की भूमि पर मिसाइल या बमबारी करना पूरी तरह अनुचित है, विशेष रूप से तब, जब ऐसा कदम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य देश उठाए।