उपराष्ट्रपति धनखड़ ने जस्टिस वर्मा नकदी मामले में जांच में देरी पर उठाए सवाल

दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से नकदी बरामदगी मामले की जांच में हो रही देरी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस मामले पर लोगों की नजरें टिकी हैं और वे यह सोच रहे हैं कि क्या मामला खत्म हो जाएगा?

एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय पर पुनः विचार करने का समय आ गया है, जिसमें उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता की बात कही गई थी। धनखड़ ने जस्टिस वर्मा मामले में जांच समिति द्वारा गवाहों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त करने के कदम को गंभीर बताते हुए कहा कि यह तरीका सही नहीं है।

उन्होंने मामले की फॉरेंसिक जांच की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि देश के लोग यह जानने को लेकर चिंतित हैं कि क्या यह मामला समय के साथ समाप्त हो जाएगा। वे यह भी जानना चाहते हैं कि क्या अपराध न्याय प्रणाली को वही व्यवहार मिला जैसा अन्य व्यक्तियों के मामलों में होता है। लोगों को इस मामले में पैसों के स्रोत, उद्देश्य और क्या इसने न्यायिक व्यवस्था को प्रभावित किया है, इन सवालों का उत्तर चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह समय की बात नहीं है, बल्कि तथ्य सामने आने चाहिए। उन्होंने कहा कि अब तक जांच में दो महीने गुजर चुके हैं और इसे शीघ्रता से आगे बढ़ाना चाहिए।

धनखड़ ने कहा कि उन्हें उम्मीद है और विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक बेहतरीन काम किया है, खासकर 90 के दशक में किए गए निर्णयों के संदर्भ में। अब समय आ गया है कि उचित निर्णय लिया जाए। जस्टिस खन्ना ने आंशिक रूप से विश्वास बहाल किया है, और सार्वजनिक दस्तावेज़ों को पेश कर लोगों को यह बताना एक बड़ा कदम था।

क्या है मामला?
जस्टिस वर्मा के आवास से नकदी की बरामदगी 14 मार्च की रात करीब 11.35 बजे की गई, जब उनके लुटियंस दिल्ली स्थित घर में आग लगी थी। 22 मार्च को सीजेआई ने आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की थी और घटना में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया था। इसमें कथित नकदी की तस्वीरें और वीडियो शामिल थे। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि न तो उनके और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी स्टोररूम में नकदी रखी थी।

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