‘रूस के खिलाफ युद्ध जीत सकती है यूक्रेन की सेना’, नाटो चीफ का बड़ा दावा

रूस और यूक्रेन के बीच जंग का आज  80 वां दिन है. दोनों देशों की सेना एक दूसरे को ज्यादा नुकसान पहुंचाने का दावा कर रही हैं. लेकिन इस बीच  उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के चीफ जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने यह कह कर सबको चौंका दिया है कि यूक्रेन की सेना रूसी सेना को पराजित कर देगी. नाटो प्रमुख ने दावा किया है कि यूक्रेन जंग जीत सकता है. स्टोलटेनबर्ग ने बर्लिन में एक बैठक के दौरान नाटो देशों से यूक्रेन को सैन्य सहायता भेजने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन इस युद्ध को जीत सकता है. यूक्रेनियन बहादुरी से अपने देश की रक्षा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें यूक्रेन को अपना समर्थन देना जारी रखना चाहिए. स्टोलटेनबर्ग ने बर्लिन में नाटो देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक में ये बातें कही.

उन्होंने कहा कि जिस योजना के मुताबिक, रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, उस तरह से युद्ध जारी नहीं है. स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि रूस यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने में विफल रहा. रूसी सैनिक खार्किव से पीछे हट रहे हैं और डोनबास में उनका आक्रमण रूक गया है.

इस बैठक में जर्मनी के विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक ने कहा कि नाटो देश यूक्रेन को सैन्य सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं ताकि रूसी सैनिकों को पीछे हटाने में यूक्रेन को मदद मिल सके. बैरबॉक ने कहा कि हम सहमत हैं कि जब तक यूक्रेन को आत्मरक्षा के लिए जब तक हमारे समर्थन की आवश्यकता है, तब तक हमें अपने प्रयासों में विशेष रूप से सैन्य समर्थन के मामले में न तो झुकना चाहिए और न ही छोड़ना चाहिए.

स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि फिनलैंड की ओर से घोषणा की गई है कि वह नाटो में शामिल होने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि फिनलैंड की सदस्यता हमारी साझा सुरक्षा को बढ़ाएगी. साथ ही इससे यह मैसेज जाएगा कि हर किसी के लिए नाटो का दरवाजा खुला है. बता दें कि फिनलैंड और स्वीडन तब से नाटो में शामिल होने के प्रयास कर रहे हैं जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ विशेष सैन्य अभियान की घोषणा की थी. इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार फिनलैंड और स्वीडन की नाटो सदस्यता का समर्थन करेगी.

उधर, भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को लखनऊ में कहा कि अमेरिका के साथ अपनी 2+2 वार्ता के दौरान भारत ने यूक्रेन-रूस संकट पर अपने संतुलित दृष्टिकोण की चर्चा की उम्मीद थी लेकिन अमेरिका की ओर से इसका कोई विरोध नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि हमारा दृष्टिकोण स्पष्ट है कि हम सभी के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं.

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