UNSC भी तालिबानराज पर पलटा, आतंक के पैरोकार से नाम हटाया

अगर भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)जैसी संस्था में बदलते समय के साथ आमूल-चूल ढांचागत बदलाव की मांग कर रहा है, तो उसमें गलत नहीं है. इस वैश्विक संस्था का नजरिया दुनिया के चंद बड़े देशों के हितों के साथ बदलता रहता है. इस बार यूएनएससी ने आतंकवाद (Terrorism) के खिलाफ लड़ाई में हैरतअंगेज यू-टर्न लिया है. इस संस्था ने अफगानिस्तान (Afghanistan) पर दो दशकों बाद आए तालिबान राज पर यूएनएससी के फिलहाल अध्यक्ष भारत (India) के बयान को ही बदल दिया है. दूसरे शब्दों में कहें तो आतंकवाद पर किसी तरह का समर्थन नहीं करने को लेकर भारत ने तालिबान (Taliban)का जिक्र किया था. यह अलग बात है कि यूएनएससी ने अपना नजरिया बदलते हुए बयान से तालिबान का नाम ही हटा दिया. यूएनएससी के नजरिये में आए इस नाटकीय बदलाव का जिक्र संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने अपनी ट्वीट में किया है.

अकबरुद्दीन ने ट्वीट कर खोली पोल
सैयद अकबरुद्दीन ने एक ट्वीट कर यूएनएससी के तालिबान के प्रति इस यू-टर्न को जाहिर किया है. उन्होंने यूएनएससी और भारत की ओर से अफगानिस्तान में तालिबान राज को लेकर जारी बयान की कॉपी ट्वीट की है. इसमें 16 अगस्त को भारत के बयान की कॉपी है, जिसमें अपील की गई थी कि तालिबान किसी भी देश में आतंकवाद का समर्थन नहीं करे. गौरतलब है कि अगस्त महीने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भारत के पास है. ऐसे में अफगानिस्तान और तालिबान के जिक्र वाले बयान पर भारत के हस्ताक्षर भी थे. यह अलग बात है कि 27 अगस्त को यूएनएससी ने बयान की जो कॉपी जारी की है, उसमें तालिबान के नाम तक का जिक्र नहीं है. यानी अफगानिस्तान पर तालिबान राज पर वैश्विक प्रहरी की तरह काम करने वाली इस संस्था के नजरिये में भी बदलाव आ गया है. 

यह किया था बयान में बदलाव
गौरतलब है कि भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति की ओर से 16 अगस्त को जारी बयान में कहा गया था… ‘सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान में आंतकवाद से मुकाबला करने के महत्व का जिक्र किया. यह भी कहा कि ये सुनिश्चित किया जाए कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल किसी देश को धमकी देने या हमला करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए और न ही तालिबान और न ही किसी अन्य अफगान समूह या व्यक्ति को किसी अन्य देश के क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादियों का समर्थन करना चाहिए.’ 27 अगस्त को काबुल हवाईअड्डे पर हुए बम विस्फोटों के एक दिन बाद तिरुमूर्ति ने फिर से यूएनएससी के अध्यक्ष के रूप में और परिषद की ओर से एक बयान जारी किया. 16 अगस्त को लिखे गए पैराग्राफ को फिर से दोहराया गया. लेकिन इसमें एक बदलाव करते हुए तालिबान का नाम हटा दिया गया. 

वैश्विक बिरादरी का बदल रहा नजरिया
हालांकि चीन, ब्रिटेन, रूस समेत पाकिस्तान पहले ऐसे देश रहे, जिन्होंने तालिबान के प्रति लचीला रुख अपनाए जाने का रुख प्रदर्शित किया था. अब यूएनएससी के इस नाटकीय यू-टर्न से जाहिर हो रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी तालिबान शासन को लेकर अपना रुख बदल सकती है. गौरतलब है कि इस बदलाव का सबसे पहले जिक्र संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिध सैयद अकबरुद्दीन ने किया. उन्होंने यूएनएससी के बयान की कॉपी को ट्वीट करते हुए लिखा कि सिर्फ 15 दिनों में ‘टी’ शब्द हटा दिया गया है. हालांकि यूएनएससी की कार्यप्रणाली से वाकिफ सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय जमीनी हकीकत के आलोक में लिया गया है. माना जा रहा है कि फिलहाल तालिबान विदेशियों को अफगानिस्तान से निकालने में मदद कर रहा है. ऐसे में तालिबान को सीधे-सीधे निशाने पर लेना कूटनीति के लिहाज से सही नहीं होगा. 

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