यूएनएससी: भारत ने सुरक्षा परिषद में इन बदलावों की सिफारिश की

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए विस्तृत योजना पेश की है। भारत ने जी4 देशों की तरफ से यह योजना संयुक्त राष्ट्र में रखी, जिसमें कई ऐसे सुधारों की सिफारिश की गई है, जिन्हें लागू करने पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ज्यादा लोकतांत्रिक और समावेशी बन सकेगी। भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ‘इंटरगवर्नमेंटल नेगोसिसएशन ऑन सिक्योरिटी काउंसिल रिफॉर्म’ कार्यक्रम में शामिल हुईं। 

भारत ने दिए ये सुझाव
इस कार्यक्रम में रुचिरा कंबोज ने जी4 देशों ब्राजील, जर्मनी, जापान और भारत की तरफ से प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या मौजूदा 15 से बढ़ाकर 25-26 करने की सिफारिश की गई है। साथ ही इसमें छह स्थायी सदस्यों और चार या पांच अस्थायी सदस्यों को शामिल करने की सलाह दी गई है। भारत ने सुझाव दिया है कि छह नए स्थायी सदस्यों में से दो अफ्रीकी राज्यों और एशिया प्रशांत के देशों, एक लैटिन अमेरिकी देशों और कैरेबियाई देशों और एक पश्चिमी यूरोपीय देशों और अन्य देशों की तरफ से प्रस्तावित किया जाना चाहिए। 

मौजूदा व्यवस्था में सुधार की जरूरत
रुचिरा कंबोज ने कहा कि सुरक्षा परिषद की मौजूदा व्यवस्था में स्थायी और अस्थायी दोनों वर्गों में प्रतिनिधित्व की कमी है। इससे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद उतनी प्रभावी नहीं है और वैश्विक स्थिरता और शांति के लिए इसमें तुरंत सुधार की जरूरत है। कंबोज ने कहा कि कोई भी सुधार प्रतिनिधित्व की कमी को नजरअंदाज करके संभव नहीं है और खासकर स्थायी कैटेगरी में भारी असंतुलन है और इसी वजह से सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने में अक्षम साबित हो रही है। कंबोज ने कहा कि सुधार के लिए जो सिफारिशें की गई हैं, उनमें किसी देश विशेष को सदस्य बनाने को नहीं किया गया है बल्कि इन्हें लोकतांत्रिक और समावेशी तरीके से चुनाव से तय किया जाएगा।  

भारत द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में वीटो को लेकर भी सुझाव दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि नए स्थायी सदस्यों के पास भी मौजूदा सदस्यों की तरह जिम्मेदारी और अधिकार होंगे, लेकिन वे किसी मुद्दे पर पूरी समीक्षा के बाद ही वीटो का फैसला कर पाएंगे। अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सिर्फ पांच देशों चीन, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के पास ही वीटो पावर है। वहीं दो अन्य सदस्य अस्थायी होते हैं, जिनका दो साल के लिए चुनाव होता है और उनके पास वीटो पावर नहीं होती। फ्रांस और अमेरिका ने भी भारत को सुरक्षा परिषद में शामिल करने का समर्थन किया है। 

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