यूपी: अखिलेश टिकट का लालच दे तोड़ रहे पार्टी- ओपी राजभर

सुभासपा में भगदड़ और इस्तीफों से ओमप्रकाश राजभर परेशान हो गए हैं। समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ने के बाद पिछले एक महीने में सुभासपा के कई जिलाध्यक्षों समेत बड़े पदाधिकारियों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। लगातार हो रहे इस्तीफों पर अब ओपी राजभर का बयान आया है। उन्होंने पार्टी में बगावत और इस्तीफों के लिए अखिलेश यादव को सीधे जिम्मेदार बताया है। राजभर ने कहा कि अखिलेश यादव उनकी पार्टी के नेताओं को तोड़ रहे हैं। नेताओं को पैसा, गाड़ी और टिकट का लालच दिया जा रहा है। 

एक टीवी चैनल से बातचीत में ओपी राजभर ने कहा कि हम पिछड़ों की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें रास्ते से भटकाने के लिए ये नुकसान किया जा रहा है। सपा चार बार सरकार में थी, तब पिछड़ी जातियों को कितना सिपाही बनाए थे। सौ फिसदी सपा इस टूट के पीछे है।

कहा कि सुभासपा की बढ़ती हुई लोकप्रियता से सपा परेशान है। इसका मैं सबूत दूंगा। उनके नौ रत्नों में दो रत्न सुभासपा को तोड़ने में लगे हुए हैं। एक रत्न मऊ का है और एक लखनऊ का रत्न है, जो एक पर्चा नहीं भर पाया।

उन्होंने कहा कि जो अपना बूथ नहीं जीता सके, वे हमारा मुकाबला करने आए हैं। वे लोग अपनी-अपनी पार्टी बचा लें। ये अखिलेश यादव के नवरत्न हैं. लखनऊ वे रत्न उदवीर सिंह हैं, बाद में भागकर घर चले आए थे। वहां पर सपा के गुंड़ों ने ही उनकी पिटाई कर दी थी। मऊ वाला रत्न राष्ट्रीय प्रवक्ता है, जो विधानसभा में पैसा देकर टिकट मांग रहा था. लेकिन नहीं मिल सका। उसको मेरी पार्टी खत्म करने के लिए लगाया गया है।

सुभासपा प्रमुख ने कहा मऊ वाले तो राजीव राय हैं। इनकी पार्टी में राजभर नेताओं को भी लगाया गया है। अखिलेश यादव अगर अपने रत्न को भेंज कर समुद्र में से दो बाल्टी पानी निकाल लें तो क्या कम होगा। हमारे यहां से जो लोग गए हैं वो अखिलेश यादव से मिले हैं। अखिलेश यादव जैसा धोखेबाज कोई नहीं है। मेरे साथ उन्होंने धोखा किया है। चार महीना दौड़ा और केवल 12 सीट दी थी। मैं अखिलेश यादव को उनकी हैसियत बता दूंगा।

ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश को धोखेबाज बताते हुए कहा कि अंगुर जब लोमड़ी नहीं पाती तो कहती है अंगुर खट्टे हैं। जो लड़ाई हम लड़ रहे हैं ये लड़ाई महात्मा गौतम बुद्ध और ज्योतिबा फुले की है। जब इस देश में वर्ण व्यवस्था बनी तो चार वर्ग आया था। इसमें पिछड़ों को शिक्षा नहीं देने की बात कही गई। ये कौन पिछड़े थे। इस पिछड़ों की लड़ाई को लेकर अपनी लड़ाई शुरू की थी।

सुभासपा प्रमुख ने आगे कि तब उनके पिता ने ही उन्हें घर से बाहर कर दिया था। अगर महात्मा ज्योतिबा फुले अगर अपने पिता की बात मानकर लौट गए होते हम आपके सामने बयान नहीं दे रहे होते। बाबा साहेब अंबेडकर का भी विरोध हुआ था, अब उनका बनाया हुआ संविधान पूरा देश पढ़ रहा है। अब कोई बात हो रही है तो संविधान के दायरे में सारे काम हो रहे हैं।

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