कृषि कानून को रद्द करने की मांग के साथ किसान पिछले 27 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। सरकार के साथ कई दौर की वार्ता हुई लेकिन सब विफल। एक तरफ किसान इस कानून को रद्द करने से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं, तो वहीं सरकार भी अड़ी हुई है और अब तो ऐसा लगता है कि सरकार कानूनों को वापस न लेने का फैसला कर चुकी है। आपको बता दें कि किसानों और सरकार के बीच अब तक 5 से 6 स्तर की बात हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो पाई है।
वहीं बता दें कि किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भाजपा के सांसदों व विधायकों के घरों के घोराव करने जा रहे थे जब ही उनको उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। जिसके बाद उन्होंने अपने घर पर ही ताली-थाली बजाकर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन किया।
गौरतलब है कि प्रदर्शन के बारे में लल्लू ने कल मीडिया से बातचीत में कहा था कि किसान संगठन लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। इसलिए अब कांग्रेस को आंदोलन का फैसला लेना पड़ा।
बता दें कि किसान आंदोलन के तहत कांग्रेस पार्टी भाजपा के सांसदों और विधायकों के आवासों व कार्यालयों का घेराव करने वाली थी साथ ही ताली व थाली बजाकर प्रदर्शन भी करने वाली थी पर उनको नजरबंद कर दिया गया।
मालूम हो कि दिल्ली के सभी बॉर्डर हजारों की संख्या में किसान इस कड़ाके की ठंड में करीब 4 हफ्तों से डटे हुए हैं और सभी किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर किसा पंजाब और हरियाणा से आए हैं।