प्रदेश में इन्फ्लूएंजा को लेकर नए सिरे से गाइडलाइन तैयार की जा रही है, जिसे सोमवार को जारी किया जाएगा। प्रदेश में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के मरीज निरंतर मिलते रहे हैं। यह सामान्य फ्लू की तरह है। यही वजह है कि इसे मौसमी इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है, लेकिन इस बार इसके मरीजों की संख्या बढ़ने की आशंका है। इसे देखते हुए अस्पतालों में दवाएं एवं बेड की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। खास तौर से गंभीर बीमारी से ग्रसित एवं बच्चों को लेकर विशेष सावधानी बरती जा रही है।
इन्फ्लूएंजा में एच1एन1, एच3एन2 और विक्टोरिया के मरीज मिलते हैं। प्रदेश में एच1एन1 यानी स्वाइन फ्लू को लेकर विशेष सावधानी बरती जाती है, जबकि एच3एन2 को मौसमी इन्फ्लुएंजा के तौर पर जाना जाता है। विभिन्न राज्यों में इस बार एच3 एन2 के मरीजों की संख्या बढ़ने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलर्ट कर दिया है।
मंत्रालय से जारी निर्देश के तहत प्रदेश में भी स्वास्थ्य महानिदेशालय ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों एवं अधीक्षकों को दवाओं के पर्याप्त इंतजाम, सांस रोग के इलाज से जुड़े उपकरण, इंटेसिव केयर यूनिट (आईसीयू) आदि की व्यवस्था दुरुस्त रखने के निर्देश जारी कर दिए हैं। राज्य सर्विलांस अधिकारी डाॅ. विकाशेंदु अग्रवाल ने बताया कि इन्फ्लूएंजा एच3एन2 के मरीज हमेशा मिलते रहे हैं। यह सर्दी-जुकाम जैसा होता है। पूरे देश में इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है, इसलिए सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. लिली सिंह ने बताया कि मौसमी बीमारियों को लेकर अस्पतालों में पहले ही दवाओं का इंतजाम कर लिया गया है। फिर भी जहां कोई कमी है, उसके बारे में जानकारी मांगी गई है। जहां से मांग आई है वहां उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन से भी दवाएं भिजवाई जा रही हैं। इसे लेकर किसी तरह घबराने की जरूरत नहीं है। सभी लोग मास्क लगाएं ताकि कोविड और इन्फ्लूएंजा से बचा जा सके।
प्रदेश में बढ़े एच1एन2 के मरीज
प्रदेश में एच3 एन2 के मरीज निरंतर मिलते रहे हैं। विभाग की ओर से सिर्फ एच1एन1 के मरीजों का आंकड़ा रखा जाता है। इसके मरीज भी प्रदेश में बढ़े हैं। वर्ष दिसंबर 2022 में इसके 388 मरीज मिले हैं, जबकि दिसंबर 2021 में सिर्फ 24 मरीज मिले हैं। इस वर्ष मार्च माह में इसके चार मरीज मिले हैं। अभी तक किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
मौसमी इन्फ्लूएंजा को लेकर किसी तरह की घबराने की जरूरत है। यह हर साल होता है और सामान्य सर्दी जुखाम की तरह खत्म हो जाती है। इसमें गले में संक्रमण होता है। ज्यादातर लोगों को बिना दवा के ठीक हो जाता है। इस बार मरीजों की संख्या अधिक है। ऐसे में वृद्धजनों एवं बच्चों को लेकर सावधानी रखी जा रही है। कोविड के दौरान किए गए इंतजाम मौजूद है। ऐसे में मरीजों के उपचार की जरूरत पड़ी तो भी कोई समस्या नहीं होगी। -प्रो. डी हिमांशु, अधीक्षक केजीएमयू