यूपी: मुस्लिम नेताओं ने मोहन भागवत के साथ बंद कमरे में की बड़ी बैठक

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के एक साहसिक फैसले से मुस्लिम राजनीति में भूचाल आ गया है। एक ओर जहां मुस्लिम वोटों की राजनीति करने वाले नेता योगी सरकार पर आग बबूला हो रहे हैं वहीं मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवियों ने आरएसएस प्रमुख के साथ मुलाकात कर मौजूदा मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान खोजने पर सहमति जताई है। जहां तक योगी सरकार के फैसले की बात है तो आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने एक झटके में 33 साल पुराने एक कानून को खत्म करके राज्य वक्फ बोर्ड के पर कतर दिए हैं। गौरतलब है कि अब तक यह बोर्ड जमीन कब्जाने का खुला खेल खेला करता था।

इस बीच, योगी सरकार की ओर से पहले मदरसों का सर्वे कराने का आदेश और अब वक्फ बोर्ड पर शिकंजा कसने से मुस्लिम वोटों के सौदागारों ने खूब हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया है। विपक्ष योगी सरकार पर मुस्लिमों को परेशान करने का आरोप लगा रहा है लेकिन सरकार का कहना है कि यह सब मुस्लिम समाज के हित में है।

दूसरी ओर, इस सब विवाद के बीच, मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की है। हम आपको बता दें कि मोहन भागवत हाल ही में दिल्ली के दौरे पर थे जिस दौरान पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस.वाई. कुरैशी और दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग समेत मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक समूह ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की और देश में सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करने की योजना तैयार की। बताया जा रहा है कि इस बैठक में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जमीरुद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी और परोपकारी सईद शेरवानी भी शामिल थे। यह बैठक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अस्थायी कार्यालय उदासीन आश्रम में बंद कमरे में हुई थी। दो घंटे तक चली बैठक के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत बनाने और अंतर-सामुदायिक संबंधों में सुधार पर व्यापक चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि इस बैठक के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद और नूपुर शर्मा की हालिया टिप्पणियों से उपजे विवाद जैसे किसी विवादास्पद मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई।

हम आपको बता दें कि यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर अदालतों में सुनवाई हो रही है और उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड की भाजपा सरकारों ने मदरसों का सर्वे कराने का निर्णय लिया है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में देश में सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करने के लिए एक मंच बनाने का निर्णय लिया गया है। बताया जा रहा है कि बैठक में भागवत और बुद्धिजीवियों के समूह ने सहमति व्यक्त की कि समुदायों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव व सुलह को मजबूत किए बिना देश प्रगति नहीं कर सकता। बैठक में दोनों पक्षों ने सांप्रदायिक सद्भाव व समुदायों के बीच मतभेदों को दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया और इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए एक योजना तैयार की गई। बताया जा रहा है कि बैठक में देश के समग्र कल्याण के लिए गांधीवादी दृष्टिकोण का पालन करने पर भी चर्चा हुई।

हम आपको याद दिला दें कि सितंबर 2019 में, मोहन भागवत ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी से आरएसएस कार्यालय में मुलाकात की थी। बैठक के दौरान उन्होंने हिंदुओं व मुसलमानों के बीच एकता को मजबूत करने तथा ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाओं समेत कई मुद्दों पर चर्चा की थी। बताया जा रहा है कि आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व संगठन सचिव रामलाल ने इस बैठक में समन्वयक की भूमिका निभाई।

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