यूपी: मुख्य सचिव दुर्गा शंकर को कारण बताओ नोटिस

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र को कोर्ट में गलत बयानी करने पर कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ  अवमानना कार्रवाई शुरु की जाय। याचिका की अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने रवींद्र कुमार की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

याचिका में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की अवैध कार्यप्रणाली को लेकर मंडलायुक्त मेरठ की 18 मई 2011 की रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग की गई है। कोर्ट ने एक दशक बीत जाने के बाद भी कोई जानकारी या जवाब दाखिल न करने एवं अधिकारियों की ओर से सरकारी वकीलों को सहयोग न करने को लेकर मुख्य सचिव को 22 दिसंबर 2022 को बुलाया था।

मुख्य सचिव ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया था कि जुलाई 22 में सभी विभागों में विशेष सचिव स्तर के अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश जारी किया गया है। नोडल अधिकारी सरकारी वकील की सूचना पर विभाग से जानकारी लेकर उपलब्ध कराएंगे। नोडल अधिकारियों की सूची, ईमेल, ईडी तथा मोबाइल/फोन नंबर के साथ जारी की गई है।

यह बयान मनीष श्रीवास्तव तथा अन्य बनाम राज्य सरकार की एक विशेष अपील पर पारित आदेश में दर्ज है। कोर्ट ने कहा, दो जनवरी 23 को जब केस की सुनवाई शुरू हुई तो एक मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने बताया कि विभाग को सूचित करने के बावजूद कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। अपर मुख्य सचिव (आवास एवं शहरी विकास योजना) लखनऊ को जानकारी दी गई। कई विभागों में नोडल अधिकारी हैं, किंतु सभी में अभी भी नहीं है। 

नोडल अधिकारियों की सूची महाधिवक्ता तथा मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय को नहीं दी गई है। कोर्ट ने कहा कि मुख्य स्थायी अधिवक्ता के बयान से स्पष्ट है कि मुख्य सचिव ने 22 दिसंबर 22 को कोर्ट में गुमराह करने वाले तथ्य दिए, जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया है।

मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर सफाई मांगी है। आदेश की प्रति मुख्य सचिव को भेजने तथा जानकारी महाधिवक्ता को देने का भी आदेश दिया है। हालांकि, कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद नोडल अधिकारियों की सूची जारी कर दी गई है, जिसमें 73 विभागों में नोडल अधिकारियों की तैनाती की जानकारी शामिल हैं।

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