अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की लड़खड़ाई जुबान, नाटो सम्मेलन में जेलेंस्की को कहा ‘व्लादिमीर’

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गलती से अपने यूक्रेनी समकक्ष जेलेंस्की को “व्लादिमीर” कह दिया। लिथुआनिया देश की राजधानी विल्नियस (Vilnius) में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान जो बाइडन ने कहा, “व्लादिमीर और मैं…मुझे इतना घनिष्ठ नहीं होना चाहिए। इसके बाद उन्होंने खुद को सुधारा और आगे बढ़ने से पहले कहा, “मिस्टर जेलेंस्की और मैं।”

पियर्स मॉर्गन (Piers Morgan) ने ट्विटर पर वीडियो पोस्ट करते हुए जो बाइडन की गलती बताई। मॉर्गन के पोस्ट पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। एक ट्विटर यूजर ने इसे “बिल्कुल अविश्वसनीय” कहा, जबकि दूसरे ने जवाब दिया, “इस बुजुर्ग व्यक्ति को अब आराम करना चाहिए।” कुछ लोगों ने वोलोदिमीर और व्लादिमीर में समानता पर भी ध्यान दिया और बाइडन के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक मामूली गलती है। एक यूजर ने कमेंट किया, “एक ही नाम, अलग-अलग स्पेलिंग। ध्यान देना।”

दरअसल, यूक्रेन के राष्ट्रपति का पूरा नाम वोलोदिमीर जेलेंस्की है और रूस के राष्ट्रपति का नाम व्लादिमीर पुतिन है। दोनों के शुरुआती नाम में हल्की सी असमानता है, लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति ज्यादातर जेलेंस्की के नाम से ही संबोधित किए जाते हैं।

बाइडन पहले भी कर चुके हैं ऐसी गलती
शिखर सम्मेलन के दौरान बाइडन ने द्विपक्षीय बैठक से पहले तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन से मुलाकात की और स्वीडन के संबंध में नाटो के साथ हुए समझौते पर उन्हें बधाई दी, जबकि फ्रांस और ब्रिटेन ने यूक्रेन की सेना को अधिक समर्थन देने की घोषणा की। बता दें कि बाइडन अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान पहले भी इस तरह की गलती कर चुके हैं। इससे पहले गलती से उन्होंने  यूक्रेनियन को ईरानी कह दिया था। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या जिस सांसद की मृत्यु हो चुकी है, वह व्हाइट हाउस सम्मेलन के दौरान मौजूद थे, जब नाटो में उनके गलत उच्चारण वाले क्षण को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया था।

सम्मेलन में बाइडन ने अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन पर भी निशाना साधा और उन्हें “डरपोक” कहा, जबकि यूक्रेनी नेता वोलोदिमीर जेलेंस्की को नाटो में सदस्यता के बिना भी पूर्ण समर्थन देने का वादा किया। बाइडन ने कहा, यह अनायास नहीं हुआ। यह अपरिहार्य नहीं है। उन्होंने आगे कहा, जब पुतिन और उनकी जमीन और सत्ता की लालसा ने यूक्रेन पर क्रूर युद्ध छेड़ा, तो वह शर्त लगा रहे थे कि नाटो टूट जाएगा… उन्होंने सोचा कि हमारी एकता पहले परीक्षण में ही बिखर जाएगी। उनका मानना था कि लोकतांत्रिक नेता कमजोर होंगे। लेकिन उन्होंने गलत सोचा।

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