उत्तराखंड चुनाव: चकराता विधान सभा में होगा रोमांचक मुकाबला

चकराता विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह के मजबूत गढ़ के रूप में जाना जाता है। इसका कारण यह है कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से लगातार चार बार प्रीतम सिंह ही विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने जाते रहे हैं। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हुई थी, लेकिन इसके बावजूद प्रीतम सीट बचाने में सफल रहे थे। इस बार कांग्रेस के इस मजबूत किले में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने मुन्ना सिंह चौहान दंपती से किनारा करते हुए रामशरण नौटियाल पर भरोसा जताया है।

चकराता विधानसभा क्षेत्र की राजनीति प्रीतम सिंह और मुन्ना चौहान के परिवारों के ईर्द-गिर्द ही घूमती रही है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से लेकर अभी तक इस सीट पर प्रीतम सिंह का मुकाबला मुन्ना चौहान या फिर मुन्ना चौहान की पत्नी एवं जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चौहान के बीच ही हुए हैं। इस बार पहली बार ऐसा हुआ है कि मौजूदा चुनाव में मुन्ना या उनके परिवार से चकराता विधानसभा सीट पर कोई प्रत्याशी नहीं है। इस बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में प्रीतम का मुकाबला भाजपा के रामशरण नौटियाल के बीच है। 

बताते चलें कि 20 साल से लगातार विधायक प्रीतम सिंह के पास क्षेत्र में मजबूत कार्यकर्ता और चुुनावी ठौर ठिकाने हैं, जिनके बल पर उन्हें उम्मीद है कि इस बार भी भारी मतों से जीतकर विधानसभा में पहुंचेंगे। दूसरी ओर, रामशरण नौटियाल भी क्षेत्र की जनता के लिए नए नहीं हैं। विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक गांव में उनकी जान-पहचान और एक गुट है। इसके अलावा भाजपा कार्यकर्ताओं और संगठन के पदाधिकारियों का सहयोग भी उन्हें मिल रहा है। उत्तराखंड बनने से पहले रामशरण नौटियाल देहरादून के जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं और क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए अपने स्तर से प्रयास करते रहे हैं।

हाल के दिनों में ही उन्होंने नवीन चकराता बनाए जाने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सर्वे का काम शुरू कराया है। इसके अतिरिक्त उनके प्ले बैक सिंगर बेटे जुबिन नौटियाल खुद चुनाव की कमान संभाल रहे हैं। इससे उन्हें विश्वास है कि युवा वर्ग जुबिन के साथ भारी संख्या में जुड़ेगा। चकराता विधानसभा सीट पर एससी वोटरों की संख्या भी काफी अधिक है। एक एससी प्रत्याशी दौलत कुंवर निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। अब देखना यह है कि प्रीतम का मजबूत गढ़ बन चुके चकराता विधानसभा क्षेत्र में चुनाव का ऊंट किस करवट बैठेगा।

मतों की संख्या
कुल :   100564
पुरुष :   57193
महिला : 47871

मुख्य चुनावी मुद्दे 
सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, यातायात के साधन, महंगाई, बेरोजगारी, किसानों से जुड़ी समस्याएं, फसलों के परिवहन की व्यवस्था, पर्यटन विकास आदि। 

विधानसभा क्षेत्र का इतिहास
2002 में चकराता अलग एसटी सुरक्षित सीट बनी। पहले चुनाव में प्रीतम सिंह ने मुन्ना सिंह और दूसरे चुनाव में उनकी पत्नी मधु चौहान को हराया। 2012 में प्रीतम ने मुन्ना और 2017 में मधु चौहान को हराया। 

भाजपा की सरकार में महंगाई और बेरोजगारी ने आम जनता के लिए गंभीर समस्या खड़ी की हैं। आज लोग अपने दैनिक खर्च चलाने में भी परेशानी महसूस कर रहे हैं। भाजपा सरकार चकराता क्षेत्र का विकास रुक गया है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर फिर से विकास कार्यों को आगे बढ़ाने और महंगाई व बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान करेंगे। 
– प्रीतम सिंह कांग्रेस प्रत्याशी

20 साल से चकराता क्षेत्र में एक ही विधायक हैं, लेकिन आज भी क्षेत्र मेें स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा व्यवस्था, यातायात की समस्या, पेयजल की समस्या और रोजगार आदि की गंभीर समस्या है। इस बार क्षेत्र की जनता परिवर्तन के लिए वोट डालेगी। इस बार के चुनाव परिणाम ऐतिहासिक होंगे।
-रामशरण नौटियाल भाजपा प्रत्याशी

चकराता विधानसभा क्षेत्र में सर्व समाज के वोटर निर्णायक स्थिति में हैं, लेकिन राजनीतिक दल उनका वोट तो ले लेते हैं, पर उनकी समस्याओं के समाधान में कोई रुचि नहीं होती है। इसके चलते सर्व समाज शिक्षा, रोजगार और आर्थिक रूप से पिछड़ गया है। सर्व समाज के उत्थान के लिए ही मैंने चुनाव में उतरने का निर्णय लिया है।

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