उत्तराखंड: धामी सरकार के एक फैसले से कर्मचारियों में भारी नाराजगी

सीमित संसाधनों के दबाव में अपने खर्चों में कटौती कर रही प्रदेश सरकार के एक फैसले को लेकर सचिवालय कर्मचारियों में भारी नाराजगी है। कुछ दिन पूर्व मंत्रिमंडल ने फैसला लिया कि राजकीय सेवा में आने वाले सभी कर्मचारियों के केंद्र सरकार से अधिक वेतनमान नहीं दिया जाएगा। सरकार का यह दावा भी है कि यह मौजूदा सेवारत कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा, लेकिन सचिवालय संघ आशंकित है कि सरकार के इस फैसले से सचिवालय कर्मियों के हित प्रभावित होंगे। इस मसले पर संघ और सरकार आमने-सामने आ गए हैं।

सरकार पर खर्च में कटौती करने का दबाव

प्रदेश सरकार पर खर्च में कटौती का भारी दबाव है। राज्य के पास आय के बेहद सीमित संसाधन हैं। जीएसटी मुआवजा बंद होने से राज्य को केंद्र से अब पांच हजार रुपये सालाना नहीं मिलेंगे। सरकार को इस घाटे की पूर्ति करने के लिए आय के साधन के बढ़ाने के साथ फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाना पड़ रहा है। हाल ही मुख्यमंत्री ने मितव्ययिता को लेकर कुछ फैसले लिए। कैबिनेट का फैसला भी इसी मुहिम का हिस्सा है।

वेतन-पेंशन और ब्याज पर 63 प्रतिशत खर्च

राज्य की माली हालत बहुत अच्छी नहीं है। कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और ऋणों और ब्याज की अदायगी पर ही सरकार को 32 हजार करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च करनी पड़ रही है। जो कुल खर्च का 63.36 प्रतिशत है। 2020-21 के वास्तविक आंकड़ों के मुताबिक, सरकार ने कर्मचारियों के वेतन पर 13704 करोड़, पेंशन पर 6167 करोड़, ऋणों की अदायगी पर 8269 करोड़ और ब्याज की अदायगी पर 4773 करोड़ खर्च किए।  

कुछ संवर्गों के कर्मियों का ग्रेड वेतन केंद्र से अधिक 

वेतन समिति की सिफारिशों के मुताबिक, राजकीय सेवा के कुछ संवर्गों के कर्मचारियों का ग्रेड पे केंद्रीय कर्मचारियों से भी अधिक है। इनमें सचिवालय सेवा संवर्ग भी शामिल हैं। मिसाल के लिए केंद्र सरकार में फार्मासिस्ट का सीधी भर्ती का पद 2800 ग्रेड पे का है, जबकि सरकार में यह 4200 ग्रेड पे का है। डिप्लोमा धारक जेई का 4200 ग्रेड पे का है, राजकीय सेवा में यह 4600 ग्रेड पे का है। केंद्र में पुलिस उपनिरीक्षक 4200 का ग्रेड पे पर भर्ती, जबकि राज्य में यह 4600 ग्रेड पर भर्ती होता और 2400 ग्रेड पे आरक्षी से प्रमोशन के माध्यम से भरा जाता है। 

हम किसी भी वर्ग के खिलाफ नहीं : वित्त मंत्री

वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि सरकार हमेशा कर्मचारी हित में रही है। मंत्रिमंडल ने हाल में जो फैसला लिया है, वह राजकीय सेवा में आने वाले नए कर्मचारियों पर लागू होगा। वर्तमान कर्मचारियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अग्रवाल ने कहा कि राज्य के वित्तीय संसाधन सीमित हैं। दूसरे राज्यों के पास हम से बहुत अधिक संसाधन हैं। हम राजस्व बढ़ाने और अपने खर्चों को सीमित करने पर जोर दे रहे हैं। हमारे आज के लिए गए फैसले भविष्य की चुनौती का सामना करने में मदद करेंगे।

फैसले से हित प्रभावित होंगे : संघ

कैबिनेट के फैसले के खिलाफ आंदोलित राज्य सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि इससे कर्मचारी हित प्रभावित होंगे। उनका तर्क है कि इससे आने वाले दिनों में नए तरह की वेतन विसंगति पैदा हो जाएगी। भविष्य में सीधी भर्ती से आने वाले कार्मिक और पदोन्नति से अगले पद पर जाने वाले सेवारत कार्मिक के वेतनमानों को लेकर होने वाले विरोधाभास और विसंगति के बारे में स्पष्ट करना चाहिए। 

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