उत्तराखंड:बाघ ने 3 महीने में ली तीन लोगों की जान

  • फतेहपुर रेंज का हमलावर बाघ अब भी लापता है। वन विभाग ने कैमरों से लेकर पंजरों का जाल बिछाया। लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। वहीं, वन विभाग का कहना है कि आबादी से सटे दस किमी दायरे के जंगल में लोगों के घुसने पर वन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
  • डीएफओ रामनगर के निर्देश पर रेंजर ने आदेश भी जारी कर दिया। अफसरों का कहना है कि सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के बावजूद लोग आरक्षित वन क्षेत्र में जा रहे हैं। ऐसे में उनकी जान को खतरा हो सकता है। हमलावर बाघ अभी पकड़ा नहीं जा सका।
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  • दिसंबर से फरवरी तक दमुवाढूंगा, ब्यूराखाम टंगर, बजूनिया हल्दू और पनियाली के चार लोगों की जंगल में जान जा चुकी है। पहली घटना को गुलदार ने अंजाम दिया था। इसके बाद तीन मौतों की वजह बाघ था। दो मामलों में बाघ के हमले को भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट भी साबित कर चुकी है।
  • वहीं, पनियाली निवासी जानकी देवी की मौत के बाद लोगों का आक्रोश बढऩे पर वन विभाग भी सक्रिय हुआ। जिसके बाद हमलावर बाघ को ट्रैंकुलाइज करने का अभियान छेड़ा गया। उसे ट्रेस करने के लिए जंगल में 50 कैमरा ट्रेप लगाने के साथ पिंजरों का जाल भी बिछाया गया। मगर बाघ सिर्फ एक बार कैमरे में कैद हुआ। हालांकि, उस फोटो में हमलावर होने या न होने का कोई प्रमाण नहीं है। अफसर खुद मानते हैं कि घने जंगल की इस फोटो में दूसरा बाघ भी हो सकता है।
  • अब वन विभाग ने आदेश जारी करते हुए कहा कि फतेहपुर रेंज के काठगोदाम, दमुवाढूंगा, पनियाली, बजूनिया हल्दू, गांधी आश्रम व फतेहपुर से सटे जंगल को घटनाओं की वजह से संवेदनशील माना गया है। लोगों से इस जंगल से दूर रहने की अपील पूर्व में कई बार की जा चुकी है। उसके बावजूद ग्रामीण चारे या लकड़ी की वजह से जंगल में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में फिर किसी घटना के होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
  • वनकर्मी सीमा क्षेत्र में गश्त करेंगे। अगर कोई व्यक्ति जंगल में मिला तो वन विभाग मुकदमा भी करेगा। फतेहपुर के रेंजर केएल आर्य ने बताया कि शुक्रवार को भी टीम बाघ की तलाश में गई थी। लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। अब जंगल क्षेत्र में घुसने वाले लोगों पर मुकदमा होगा। अपील के बावजूद कुछ लोग जंगल में जा रहे हैं।

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