मुजफ्फरनगर नगर पालिका सीट की सियासी रहनुमाई आजादी के 71 साल बाद भी नहीं बदल रही। हकीकत ये है कि इस दौरान 13 बार नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ। जिसमें 10 बार वैश्य जाति का ही चेयरमैन निर्वाचित हुआ। जबकि सियासी हालात के साथ-साथ जीत के लिए दल बदलते रहे। लेकिन वैश्य समाज का दबदबा कायम रहा। जबकि पंजाबी समाज से 2 बार और ब्राह्मण समाज का कैंडिडेट केवल एक बार ही जीत सका। हांलाकि किसी अल्पसंख्यक का तो खाता भी नहीं खुला।
आजादी के पहले और बाद मुजफ्फरनगर सीट चेयरमैन पद पर वैश्य समाज के उम्मीदवार 10 बार जीते। 1946 में पहला अध्यक्ष चुना गया था। यह सम्मान वैश्य समाज को ही मिला। इस साल 28 मार्च को वैश्य समाज के आनन्द प्रकाश सिटी बोर्ड के पहले अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किये गये। 1946 से 2017 तक 71 साल के इतिहास में टाउनहाल में अध्यक्ष पद की कुर्सी पर 10 बार वैश्य समाज से चेयरमैन काबिज हुए हैं।
वैश्य जाति से चुने गए चेयरमैन
इनमें आनन्द प्रकाश के बाद कीर्ति भूषण प्रकाश, ज्योति प्रसाद, जेपी अग्रवाल, केशव गुप्ता, विद्या भूषण, लक्ष्मी चंद सिंघल, कपिल देव अग्रवाल, पंकज अग्रवाल और अंजू अग्रवाल के नाम शामिल हैं। इन चेयरमैन में से ज्योति प्रसाद, विद्या भूषण और केशव गुप्ता आदि ने प्रदेश की राजनीति में रूतबा हासिल किया।
पंजाबी समाज से दो बार चेयरमैन, डा. सुभाष अकेले ब्राह्मण
पंजाबी समाज से दो बार 1968 और 2000 में चेयरमैन निर्वाचित हुए। 1968 में पंजाबी समाज से चुन्नी लाल अनेजा और साल 2000 में भाजपा के टिकट पर जगदीश भाटिया निर्वाचित हुए। साल1995 में लक्ष्मी चंद सिंघल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद दिसम्बर की सर्दी में निकाय चुनाव हुए तो चेयरमैन को चुनने के लिए पहली बार शहर की जनता ने वोटिंग की थी। इसमें भाजपा के डा. सुभाष चंद शर्मा चेयरमैन निर्वाचित हुए थे। वो बोर्ड के पहले ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष भी रहे।