वेटलिफ्टिंग की प्रतिभाओं को तराशना होगा, तब मप्र से भी निकलेंगे ओलंपियन खिलाड़ी

भारत को टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक के रूप में पहला पदक मिला है। यह पदक वेटलिफ्टिंग में महिला खिलाड़ी मीराबाई चानू ने हासिल किया है। हमारे प्रदेश में भी वेटलिफ्टिंग की सैकड़ों प्रतिभाएं हैं जो नेशनल और स्टेट लेवल पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। वेटलिफ्टिंग एक ऐसा खेल है, जिसमें प्रॉपर उपकरण मिलना बहुत जरूरी है। जिसकी आज हमारे प्रदेश में कमी है। बावजूद इसके लिए खिलाडिय़ों की संख्या बड़ी और भागीदारी भी बड़ी है। खिलाडिय़ों का सपना ओलंपिक में पदक जीतना है लेकिन इस खेल में असुविधाओं की कमी और प्रॉपर डाइट नहीं मिलने से उनका सपना पूरा नहीं हो पाता है। पत्रिका प्लस कुछ खिलाडिय़ों से अपने अनुभव शेयर किए।

स्कूल में देखा था वेटलिफ्टिंग का खेल

नेशनल वेटलिफ्टर सतरूपा कुशवाहा ने बताया कि मैं सतना की रहने वाली हूं। पिता वरसाने लाल कुशवाहा किसानी करते हैं। मैं पिछले चार साल से वेटलिफ्टिंग कर ही हूं। 2020 में कोलकाता में हुए नेशनल प्रतियोगिता में भाग लिया था। इससे पहले मैंने दो स्टेट, स्कूल लेवल पर तीन प्रतियोगिताओं में भाग लिया है। स्कूल लेवल पर रजत पदक जीत जीता है। मैं स्कूल में लड़कों को वेटलिफ्टिंग करते देखा था। तब मुझे इस खेल के बारे में जानकारी मिली। और कोच के मार्गदर्शन में प्रैक्टिस करने लगी। जिसके बाद खेल इम्पू्रव होता गया। मैं ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना चाहती हूं। यह मेहनत का खेल है तो लड़कियां को दिक्कत होती है। साथ ही परिवार को सपार्ट मिलना बहुत जरूरी है। मेरे पिता ने कभी खेलने के लिए मना नहीं किया। मुझे इस खेल में आगे जाना है लेकिन फाइनेंशियल सपोर्ट की कमी है। इसलिए डाइट भी प्रॉपर नहीं मिल पाती है। जो इस खेल में जरूरी होता है।

इस खेल में प्रॉपर उपकरण की है जरूरत

भोपाल के नेशनल वेटलिफ्टर हिम्मत कुशवाहा ने बताया कि मैंने 2014 से वेटलिफ्टिंग शुरू की थी। इस बीच मैंने चार स्टेट, एक ऑल इंडिया और चार इंटर डिस्ट्रिक्ट प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं। कुल मिलाकर 11 पदक हैं। इसमें पांच स्वर्ण, तीन सिल्वर और इतने ही कांस्य पदक शामिल हैं। मैंने एक छोटे जिम से वेटेलिफ्टिंग शुरू की थी। इसके बाद टीटी नगर स्टेडियम में अभ्यास किया। तीन सालों तक रेलवे जिम में अभ्यास कर रहा हूं। शुरू से ही वेटलिफ्टिंग कर रहा हूं। शुरुआत में किसी ने सर्पोट किया है। खुद ही तैयारी करता था। वेटलिफ्टिंग एक ऐसा खेल है जिसमें प्रॉपर उपकरणों की जरूरत होती है। सबसे महंगा खेल है इसलिए फाइनेंशियन लेवल पर भी स्पोर्ट मिला चाहिए।

सही इाइट मिलना बहुत जरूरी

भोपाल के ही नेशनल वेटलिफ्टर हिमांशु थापा ने बताया कि मैं पिछले पांच साल से वेटलिफ्टिंग कर रहा हूं। अभी तक मैंने दो नेशनल खेले हैं। जिसमें ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी और ओपन नेशनल शामिल हैं। मेरे पिता देव बहादुर आर्मी से रिटायर्ड हैं। जिम में सीनियर को देखकर ही वेटलिफ्टिंग की प्रेरणा मिली थी। जब मेरी उम्र 16 साल की थी। मेरा लक्ष्य ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना है। इस खेल को सपोर्ट करना होगा। क्योंकि खिलाडिय़ों को वह डाइट नहीं मिल पाती है जो मिलना चाहिए। जिससे खिलाडिय़ों का सपना पूरा नहीं हो पाता है। मप्र में कई ऐसे प्रतिभाएं हैं जो बहुत आगे तक जा सकती है। यह खेल मेहनत का होता है अगर सही डाइट मिल जाए तो हमारे प्रदेश के खिलाड़ी भी ओलंपिक में पदक जीत सकते हैं।

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