पश्चिम बंगाल की बगदा विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक बिस्वजीत दास मंगलवार को टीएमसी में शामिल हो गए। इस साल मई में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से ऐसा करने वाले दास तीसरे बीजेपी विधायक हैं।
मालूम हो कि टीएमसी के दो बार के विधायक दास ने 2019 में भाजपा का दामन थाम लिया था। उन्होंने 2021 के विधानसभा चुनावों में बगदा से भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ चटर्जी की मौजूदगी में पार्टी में शामिल होने के बाद कहा, “मैंने कभी भी भाजपा में सहज महसूस नहीं किया। मैं बहुत पहले तृणमूल कांग्रेस में लौटना चाहता था। भाजपा ने बंगाल के लिए कुछ नहीं किया।”
इससे पहले सोमवार को एक अन्य भाजपा विधायक तन्मय घोष तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रतिशोध की राजनीति में लिप्त है। पत्रकारों से बात करते हुए घोष ने दावा किया कि भाजपा पश्चिम बंगाल के लोगों के बीच अराजकता फैलाने का प्रयास कर रही है, जिसके कारण वह टीएमसी में शामिल हो गए।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी से पश्चिम बंगाल के कल्याण के लिए टीएमसी में शामिल होने का आग्रह करता हूं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हाथों को मजबूत करने की जरूरत है।’’ घोष ने आरोप लगाया कि भाजपा प्रतिशोध की राजनीति कर रही है और राज्य में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रही है।
घोष पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले मार्च में टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इससे पहले, घोष टीएमसी की युवा इकाई के बांकुड़ा जिले के बिष्णुपुर शहर के अध्यक्ष और स्थानीय नगर निकाय के पार्षद भी थे।
घोष का पार्टी में स्वागत करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि भाजपा चुनाव के बाद टीएमसी से बदला लेने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम भाजपा से राजनीतिक रूप से लड़ेंगे। वह पश्चिम बंगाल के लोगों को कमतर दिखाने की कोशिश कर रही है।’’ बसु ने कहा कि भाजपा के कई नेता टीएमसी के संपर्क में हैं।
बसु ने दावा किया कि त्रिपुरा के भाजपा विधायक भी टीएमसी के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब ममता बनर्जी त्रिपुरा में कदम रखेंगी, तो सुनामी आएगी। उस राज्य के भाजपा नेता इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं।’’ बसु ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा के नेतृत्व में त्रिपुरा खौफ की घाटी में तब्दील हो गया है।’’
बता दें कि इससे पहले, जून में, भाजपा विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय भगवा खेमे में शामिल होने के चार साल बाद ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी में फिर से शामिल हुए थे।