कोर्ट में गिड़गिड़ाए दोषी, बोले- जज साहब रहम करो

बरेली के सुरेश शर्मा नगर के जिस परिवार में यह घटना हुई थी, उसके बाकी लोग दूसरे शहरों में रह रहे हैं। दोषियों को सजा सुनाए जाने के दौरान भी पीड़ित परिवार सामने नहीं आया। सुरेश शर्मा नगर स्थित उनके घर में किरायेदार रहते हैं। परिवार कभी-कभार यहां आता है।

बृहस्पतिवार दोपहर बाद टीम पीड़ित पक्ष के घर पहुंची तो पड़ोसियों और किरायेदार को सजा के बारे में पता लगा। पड़ोस में रहने वाले रिटायर्ड एडीओ अजय सक्सेना ने बताया कि वह दो दिन तक समझ ही नहीं पाए थे कि यहां इतना बड़ा कांड हुआ है। पुलिस पहुंची तो कॉलोनी वालों को इसकी जानकारी हुई। 

लोग दहशत में आ गए थे। खुलासे में पता लगा कि कई दिन रेकी करके घटना की गई थी, इसलिए और ज्यादा खौफ झेला। आईजी से कमिश्नर तक ऐसा कोई अधिकारी नहीं, जो उन दिनों कॉलोनी में न आए हों। लगातार कई महीने तक पिकेट तैनात रही थी। आज भी जब वह दिन याद आता है तो सिहर जाते हैं। कहा कि आज उन्हें संतोष मिला है।

गवाही देने आए थे रविकांत
मुकदमे के वादी रविकांत मिश्रा पीलीभीत में आयकर अधिकारी के पद पर तैनात हैं। वह डेढ़ महीने पहले यहां गवाही देने आए थे। बृहस्पतिवार को सजा हुई तो परिवार का कोई सदस्य मौके पर मौजूद नहीं था। रविकांत के बड़े भाई देवेश मिश्रा भी प्रोफेसर हैं और परिवार के साथ बाहर रहते हैं।

दस साल, दस गवाह, 35 सबूत से कसा छैमारों पर फंदा
कोर्ट में छैमारों को सजा दिलाने के लिए पुलिस विभाग ने भी तगड़ी पैरवी की। करीब दस साल तक केस चला जिसमें वादी रविकांत मिश्रा, उनके भाई देवेश मिश्रा, एसआई गजेंद्र त्यागी, विवेचक अनिल सिरोही, एसआई राजाराम यादव, थाने के मोहर्रिर सत्यपाल सिंह समेत दस लोगों ने गवाही दी।पुलिस ने पीड़ित पक्ष की तहरीर, लूटे गए सामानों की सूची, मृतकों का पंचनामा व पोस्टमार्टम रिपोर्ट, शवों के फोटो, सीएमओ की रिपोर्ट, एफआईआर की कॉपी, पुलिस की जीडी में दर्ज सूचना, लूटे सामान की बरामदगी की फर्द, घटना में प्रयुक्त ईंट, लोहे की रॉड व सब्बल, खून से सने कपड़े, घटनास्थल का नक्शा और चार्जशीट समेत साक्ष्य के तौर पर 35 चीजें कोर्ट में पेश कीं। इसके बाद सख्त सजा का आधार तैयार हो सका।

दोषी बोले- रहम किया जाए, डीजीसी बोले- मौत की सजा मिले
कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोषियों की ओर से उनके वकील ने कहा कि ये लोग गरीब है। इनमें दो महिलाएं भी हैं। एक दोषी पेशे से सराफ है। सराफ राजू वर्मा की एक छोटी बच्ची है। पत्नी के सिवाय परिवार में और कोई नहीं है। उसका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है। इसलिए इन पर रहम किया जाए और कम से कम सजा दी जाए।इसके जवाब में जिला शासकीय अधिवक्ता सुनीति कुमार पाठक, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दिगंबर पटेल की ओर से कहा गया कि तीन लोगों की हत्या पाशविक तरीके से की गई थी। इनमें से दो लोगों की उम्र काफी कम थी। उनके सामने पूरी जिंदगी पड़ी थी। तीनों हत्याएं डकैती डालने के उद्देश्य से शौकिया की गईं। इसलिए इन सभी को मौत की सजा दी जाए, जिससे समाज में सही संदेश जाए। 

दोषी बोले- मुसलमान होने की वजह से हमें फंसाया गया
तिहरे हत्याकांड में फैसले पर सरकारी वकीलों से लेकर पीड़ित पक्ष के वकील काफी खुश दिखे। वहीं, दोषियों ने कहा कि मुसलमान होने की वजह से उनको जानबूझकर फंसाया गया। मेडिकल परीक्षण के लिए ले जाते वक्त महिलाओं समेत अन्य दोषियों ने चेहरे ढंक रखे थे। मीडिया के सवालों से वह बचते दिखे।एक-दो दोषियों ने कहा कि हम जो बोलेंगे उसे मीडिया नहीं दिखाएगी। हम मुस्लिम हैं, इसलिए हमें फंसा दिया गया है। इधर, एडीजीसी दिगंबर पटेल ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि इस मामले में महिलाओं की भी भूमिका रही। पुलिस और वकीलों ने काफी पैरवी की थी। कोर्ट ने शानदार फैसला दिया है। उन्हें खुशी है कि दोषियों को अधिकतम सजा दी गई।

इसलिए नाम छैमार गिरोह

यह गैंग मूल रूप से पंजाब का छैमार गिरोह है। खानाबदोश घुमंतू डकैतों के गिरोह में छैमार सबसे खतरनाक हैं। आपराधिक प्रवृत्ति का यह गिरोह लोगों को बेरहमी से मारने के लिए सिर पर छह वार करता है। इसीलिए इस गैंग का नाम छैमार गिरोह है। इस गिरोह की महिलाएं भिखारी बनकर कॉलोनियों में रेकी करती हैं। 

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