कल हमने परिवहन निगम मुजफ्फरनगर डिपो के क्षेत्रीय प्रबंधक महेन्द्र सिंह के निलंबन के संबंध में लिखा था। पता चला है कि उनकी लापरवाही से निगम को 50 लाख रुपये का घाटा उठाना पड़ा। निकम्मे अधिकारियों व कर्मचारियों के कारण जनमानस एवं शासन-प्रशासन, सभी को हानि-परेशानी उठानी पड़ती है जो राष्ट्रीय क्षति का रूप भी धारण कर लेती है। निकम्मे कर्मचारियों के उलट कुछ कर्तव्यनिष्ठ मुस्तैद अधिकारियों से जनता, समाज एवं राष्ट्र का हित सधता है।
कुछ दशकों पहले तक विभागों के वरिष्ठ अधिकारी केवल कार्यालयों में ही हाजरी नहीं देते थे वरन अतिरिक्त समय लगा कर शिविर लगाकर दौरे कर जनता से सीधा संवाद करते थे, अब तो संपूर्ण समाधान दिवस में हाज़िर होने में ही अधिकारी गुरेज़ करते हैं। 21 जनवरी 2023 को खतौली के संपूर्ण समाधान दिवस में 15 अधिकारी अनुपस्थित थे जबकि सहारनपुर के मंडलायुक्त डॉ. लोकेश एम. वहां स्वयं उपस्थित थे। सरकारी अमला किस गति से काम करता है इसका अन्दाज़ा इस स्थिति से लगता है कि 50 शिकायतों में से केवल एक शिकायत का समाधान हो सका।
हमने वह दौर भी देखा है जब गंग नहर के अधिशासी अभियंता के.सी. गोयल नहर की पटरी पर चल कर मौका मुआयना करते थे। जिला अधिकारी योगेन्द्र नारायण ग्रामीण इलाकों में शिविर लगाते थे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस.एन.सिंह रात्रि के दो-दो बजे तक थानों व पुलिस चौकियों का निरीक्षण करते थे। जिला विद्यालय निरीक्षक गौरीशंकर लाल स्कूलों का निरीक्षण मुस्तैदी से करते थे। ऐसे कई जिला गन्ना अधिकारी मुजफ्फरनगर में तैनात हुए जो गन्ना क्रय केन्द्रों पर जाकर घटतौली पकड़ते थे। इस कार्य संस्कृति को राज्य में दृढ़ता से लागू कराना शासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’