हमीरपुर में यमुना और बेतवा ने रौद्र रूप धारण करते हुए खतरे की निशान को पार कर लिया है। अब दोनों नदियों का पानी रिहायशी इलाकों में घुसने लगा है। प्रशासन ने यहां बीते दिन ही अलर्ट जारी करते हुए राहत शिविरों का बंदोबस्त कर लिया था।
गांव को खाली कराना पड़ सकता है
बीती रात से जिस तरह से दोनों नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है, अगर यही स्पीड रही तो बहुत जल्द कुछ गांवों को खाली करते हुए लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट करना पड़ेगा। फिलहाल दोनों नदियों पर केंद्रीय जल आयोग और बाढ़ चौकियां नजर बनाये हुए है। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है।
नदियों में बाढ़ आने की वजह माताटीला, लह्चूरा बांध से 5 लाख क्यूसिक पानी बेतवा में छोड़ा जाना और धौलपुर से दस लाख क्यूसिक पानी यमुना में छोड़ा जाना है। तो वहीं कुछ इलाके को प्रभावित करने वाली केन नदी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
बेतवा नदी दो दर्जन से ज्यादा गांव करती है प्रभावित
हमीरपुर को सबसे ज्यादा बेतवा नदी प्रभावित करती है। जिसकी वजह से दो दर्जन से अधिक गांव प्रभावित होते हैं। अब जब बेतवा नदी खतरे के निशान को पार कर चुकी है। इसका पानी 10 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से बढ़ रहा है। तब मुख्यालय के 13 गांव भिलावां, केसरिया डेरा, भोला का डेरा, रामेडी डांडा, डिग्गी, ब्रम्हा का डेरा, मेरापुर, कलौलिजार, हेलापुर, चंदौलितीर, अमिरता, कुछेछा में खतरा मंडराने लगा है।
बेतवा और यमुना के साथ साथ केन नदी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
राहत शिविर प्रशासन ने किए तैयार
हमीरपुर जिलाधिकारी डॉ. चंद्रभूषण त्रिपाठी ने बताया की उन्होंने कुछेछा डिग्री कालेज में राहत शिविर बनवाया हुआ है। नदियों का पानी किसी गांव में घुसता है तो उस इलाके के लोगों को राहत शिविर में शिफ्ट किया जाएगा। यमुना नदी से कुछ इलाके में कटान हुआ है। उसको ठीक करने की कोशिश की जा रही है। बाढ़ चौकियों को अलर्ट मोड़ में रखा गया है। मौदहा बांध के अधिशाषी अभियंता करन पाल सिंह गंगवार ने बताया की सुबह 7 बजे यमुना 103.650 और बेतवा 103.820 मीटर पर थी।