नहीं बदल रही योगी की पुलिस !

23 सितम्बर: समाचार है कि 30 अगस्त को सुल्तानपुर में तैनात महिला सिपाही अयोध्या एक्सप्रेस के कोच में बेहोशी की अवस्था में घायल मिली थीं। उसके सिर तथा शरीर के अन्य हिस्सों पर बर्बरता पूर्वक हमला किया गया था। बदमाश उसे मरा समझ, मनकापुर स्टेशन से उतर कर फरार हो गये थे।

यह एक गम्भीर घटना थी जिस पर रेलवे पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस को अपने कर्त्तव्य का पालन करते हुए बदमाशों को कानून के शिकंजे में लाने को तत्काल सक्रिय हो जाना चाहिए था किन्तु ऐसा नहीं हुआ। आम तौर पर पुलिस का यही रवैया रहता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने घटना पर स्वतः संज्ञान लिया। मुख्य न्यायधीश जस्टिस प्रीतिकर दिवाकर ने 3 सितंबर को रात्रि के 9 बजे अपने आवास पर मामले की सुनवाई की। घटना पर सरकार से जवाब मांगा गया। वीडियो वायरल न होता तो बात आई-गई हो जाती।

हाईकोर्ट के सख्त रवैये पर पुलिस के कान खड़े हुए। 22 सितम्बर को पूराकलंदर प्रभारी रतन शर्मा की टीम व एसटीएफ ने चमेला चौराहे पर महिला आरक्षी के साथ बर्बरता करने वाले 3 बदमाशों को घेर लिया। मुठभेड़ में आरोपी अनीस मारा गया और दो बदमाश पुलिस की गोली से घायल हो गए।

अभी 17 सितंबर को अंबेडकरनगर के बरही आदिलपुर की 12वीं कक्षा की छात्रा नैंसी का बदमाशों ने सरेबाजार दुपट्टा छीना और उसके सड़क पर गिर जाने के बाद छात्रा को मोटरसाइ‌किल से कुचल कर मार डाला। जब कॉलेज के छात्रों व जनता ने कोतवाली का घेराव किया तो पुलिस के आला अधिकारियों की नींद टूटी। वह भी तब, जब लड़की को कुचल कर मारने का वीडियो वायरल हुआ।

घटना की गूंज लखनऊ तक पहुंची तो एस.पी ने एस.ओ. हंसवर, रितेश पांडेय को निलंबित कर दिया। दो दिन बाद लखनऊ के दबाव से तीनों बदमाशों- शहबाज, फैसल, अरबाज को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

अम्बेडकर नगर व अयोध्या की घटनाओं के वीडियो वायरल होने पर ही पुलिस सक्रिय हुई। पुलिस पर आरोप लगते रहते हैं कि छेड़‌छाड़ या दुष्कर्म होने की घटनाओं को पुलिस दबा देती है या लापरवाही करती है। ऐसी अनेक घटनायें सामने आ चुकी हैं। यह तब हो रहा है जब योगी आदित्यनाथ ईमानदारी से उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त करने में जुटे हैं।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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