राजगढ़ में रिकॉर्ड तोड मतदान, क्या नागर फिर से होंगे रिटर्न या दिग्विजय बदलने जा रहे इतिहास

मध्यप्रदेश की नौ लोकसभा सीटों पर मंगलवार को हुए तीसरे चरण के मतदान में लगभग 66 प्रतिशत मतदान हुआ है। वहीं प्रदेश की सबसे चर्चित सीट राजगढ़ लोकसभा में 75 प्रतिशत तक मतदान संपन्न हुआ, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में एक प्रतिशत अधिक है। ऐसे में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल ये कयास लगा रहे हैं कि उनके समर्थन में यह बढ़ा हुआ मतदान हुआ है। 

दरअसल प्रदेश की सबसे चर्चित सीट राजगढ़ लोकसभा में भाजपा ने जहां तीसरी मर्तबा भी अपने दो बार के सांसद रोडमल नागर पर विश्वास जताते हुए मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को चुनावी मैदान में उतारा और राजगढ़ की यह लोकसभा सीट सबसे चर्चित बन गई। प्रदेश के साथ साथ केंद्र स्तर तक के भाजपा नेता भी इस सीट पर अपने प्रत्याशी के समर्थन में जनसभा को संबोधित करते हुए नजर आए और वहीं दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह ने अंत के दो दिनों में लोकसभा क्षेत्र में दो बड़ी सभाएं कीं, जिसमें राजस्थान के पूर्व सीएम और पूर्व डिप्टी सीएम शामिल हुए, बाकी दिनों में वे अकेले ही अपने क्षेत्र में स्टार प्रचारक की भूमिका निभाते हुए नजर आए।

अब ज़रा जमीनी हकीकत पर गौर कीजिए
राजगढ़ लोकसभा सीट पर वर्ष 2014 से भारतीय जनता पार्टी का कब्ज़ा है और भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर पिछले दस वर्षों से सांसद भी हैं। जिन्होंने वर्ष 2014 में कांग्रेस के नारायण सिंह आमलाबे और वर्ष 2019 में कांग्रेस की तत्कालीन लोकसभा प्रत्याशी मोना सुस्तानी को हराया था। इसके पश्चात वर्ष 2024 में भाजपा ने तीसरी मर्तबा अपने वर्तमान सांसद रोडमल नागर पर भरोसा जताया और मैदान में उतार दिया।

टिकट वितरण के दौरान सोशल मीडिया पर कुछ समय के लिए उनका विरोध भी हुआ, लेकिन कुछ दिनों के बाद मामला शांत हो गया। कांग्रेस ने टिकट के रूप में संभालकर रखा अपना तुरुप का इक्का फेंका और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारकर मुकाबले को संघर्षपूर्ण कर दिया। दिग्विजय सिंह के चुनावी मैदान में उतरते ही भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में सियासी हलचल तेज हो गई। दिग्विजय सिंह ने टिकट की अधिकारीकारिक घोषणा होते ही अपने क्षेत्र में वादा निभाओ पदयात्रा और ईवीएम की जगह मतपत्र से चुनाव लड़ने का कैंपेन छेड़ दिया। जिसके बाद दिग्विजय सिंह भाजपा के देश व प्रदेश स्तर के नेताओ के और अधिक निशाने पर आ गए। 

जीत हासिल करने के लिए दोनों ही राजनीतिक दलों ने अंतिम समय तक अपना पूरा जोर लगा दिया, जिसके परिणाम स्वरूप प्रदेश में तीसरे चरण के मतदान में प्रदेश की 9 लोकसभा सीटो में से राजगढ़ का प्रतिशत सबसे अधिक रहा। ऐसे में अब दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा ये कयास लगाए जा रहा है कि राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की जनता ने उनके समर्थन में मतदान किया है। लेकिन राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में राजनीतिक अनुभव रखने वाले कहते हैं कि यदि जनता बढ़-चढ़ कर मतदान करती है तो निश्चित तौर पर उसका फायदा भाजपा को मिलता है, लेकिन वही जनता अपने स्थानीय जनप्रतिनिधि या केंद्रीय नेतृत्व से त्रस्त होती है तो भी उसके विरोध में भरपूर तरीके से मतदान करती है। 

राजगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार तनवीर वारसी दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा मतदान के अधिक प्रतिशत को अपने पक्ष में बताए जाने पर कहते हैं कि दोनों ही प्रमुख दलों की मेहनत अपनी जगह है, लेकिन राजगढ़ में हुए अधिक मतदान का श्रेय राजगढ़ के जिला निर्वाचन अधिकारी और एसपी को जाता है। जिनकी कढ़ी महनत और इंतजाम के बाद शांतिपूर्ण तरीके से अधिक प्रतिशत में मतदान संपन्न हुआ है। राजनीतिक दलों के दावे और वादे कितने सच्चे हैं इसका परिणाम तो 4 जून को पता चल जाएगा।

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