सितंबर या अक्टूबर में घोषित होगा एअर इंडिया के फाइनल बिडर्स का नाम, टाटा संस का नाम सबसे आगे

कोविड-19 के कारण सरकार की विनिवेश की योजना पर असर पड़ रहा है। अब सरकार ने एअर इंडिया के फाइनल बिडर्स के नाम की घोषणा सितंबर या अक्टूबर में करने की योजना बनाई है। कोविड-19 महामारी पर फोकस के कारण सरकार को अपनी योजना में बदलाव करना पड़ा है। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में एअर इंडिया के निजीकरण का लक्ष्य तय किया है। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाना चाहती है।

खरीदारों की रेस में टाटा संस सबसे आगे

पिछले महीने सूत्रों ने बताया था कि एअर इंडिया को खरीदने की रेस में अब टाटा संस और प्राइवेट एयरलाइन स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह का ग्रुप ही बचा है। अन्य सभी आवेदन EoI मूल्याकंन के स्तर पर खारिज हो चुके हैं। सूत्रों का कहना था कि एअर इंडिया की रेस में टाटा संस अजय सिंह के ग्रुप से आगे चल रहा है। प्रारंभिक निविदा का आंकलन करने के बाद योग्य खरीदारों को एअर इंडिया के वर्चुअल डाटा रूम (VDR) का एक्सेस दे दिया गया है। इसके जरिए खरीदार अपने सवालों के जवाब पा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि अब बिक्री की प्रक्रिया वित्तीय निविदा के स्तर पर पहुंच गई है।

टाटा ग्रुप को भी कोविड से निपटने में मदद मिलेगी

टाटा संस को एअर इंडिया के खरीदारों की रेस में मजबूत उम्मीद माना जा रहा है। सरकार की नई योजना से टाटा ग्रुप को भी कोविड संक्रमण से निपटने में मदद मिलेगी। टाटा ग्रुप के एक अधिकारी का कहना है कि हम अभी इस पर फोकस नहीं कर रहे हैं। इस मामले में जो भी निर्देश मिलेगा, टाटा ग्रुप उसको फॉलो करेगा। एक सरकारी अधिकारी का कहना है कि एअर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया सितंबर या अक्टूबर के लिए बढ़ाई जा सकती है। इसी समय फाइनल बिड सामने आएगी। इसका मतलब यह है कि एअर इंडिया के नए मालिक का चयन चालू वित्त वर्ष में संभव नहीं है। अधिकारी के मुताबिक, संभावित खरीदारी की घोषणा इसी वित्त वर्ष में हो सकती है। लेकिन एयरलाइन को हैंडओवर करने में समय लग सकता है।

इन कंपनियों ने किया था आवेदन

एअर इंडिया को खरीदने के लिए टाटा ग्रुप और अजय सिंह के ग्रुप के अलावा न्यूयॉर्क के इटरप्स इंक के जॉइंट वेंचर, एअर इंडिया के 209 पूर्व कर्मचारियों के ग्रुप, एस्सार ग्रुप, पवन रुइया की कंपनी डनलप और फाल्कन टायर्स ने भी EoI जमा की थी।

एअर इंडिया को 20 साल से बेचने की कोशिश

एअर इंडिया को बेचने की कोशिश काफी लंबे समय से हो रही है। 20 साल पहले से इसे बेचा जा रहा है। उस समय 20% हिस्सेदारी बेचने की बात हो रही थी। हालांकि, इस समय इसकी पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना है। अब तक ढेर सारी कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। लेकिन सरकार की शर्तों और इसके भारी-भरकम कर्ज के कारण कोई खरीदार नहीं आ पा रहा है। टाटा ग्रुप अभी भी इसको खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहा है। क्योंकि टाटा ग्रुप ने ही इसकी शुरुआत की थी। टाटा ग्रुप के सामने यह दिक्कत है कि वह एअर एशिया और विस्तारा में पहले से ही भागीदार है।

2017 में 74 पर्सेंट हिस्सा बेचने की योजना थी

सरकार 2017 में एअर इंडिया में 74% हिस्सेदारी बेच रही थी। पर बाद में इसे बढ़ाकर 100% कर दिया गया था। इसके साथ ही एअर इंडिया एक्सप्रेस में भी सरकार पूरी हिस्सेदारी बेच रही है। एअर इंडिया के पास कुल 46 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति है। इसमें जमीन, बिल्डिंग, फ्लीट और अन्य संपत्तियां हैं। 1932 में शुरू हुई एअर इंडिया खरीदार को घरेलू एयरपोर्ट्स पर 4,400 डॉमेस्टिक और 1800 इंटरनेशनल लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट मिलेंगे। इसके अलावा विदेशी एयरपोर्ट पर 900 स्लॉट्स भी मिलेंगे।

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