केंद्र शासित प्रदेश में कश्मीर की तुलना में जम्मू संभाग के लोग 68% साफ पानी पी रहे हैं। यह खुलासा जल जीवन मिशन की जल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली से हुआ है। यहां साफ पानी पीने के मामले में शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति ज्यादा खराब है।
प्रदेश भर में लिए गए 11 हजार से अधिक नमूनों की जांच में 157 फेल पाए गए हैं। इनमें जम्मू के करीब 50, यानी 32 प्रतिशत तो कश्मीर के 107, यानी 68 फीसदी नमूने फेल हैं। हालांकि पहाड़ी राज्यों में साफ पानी पीने के मामले में यहां के लोग मणिपुर से पीछे और पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश से बेहतर हैं।
जलशक्ति विभाग ने पाइप युक्त जल कनेक्शन पर आधारित रिपोर्ट जारी की है। विभागीय राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने हॉल ही में एक सवाल के जवाब में इसे लोकसभा में रखा भी है। रिपोर्ट के अनुसार पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए 2087 पेयजल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं।
साल 2022-23 में इनमें जम्मू-कश्मीर के 11,827 से ज्यादा नलों से लिए गए पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया है। इसमें 157 नमूने दूषित मिले हैं। दूषित पानी को लेकर शहरों से ज्यादा गंभीर स्थिति गांवों की है। यहां आज भी बड़ी संख्या में लोग प्राकृतिक जलस्रोतों पर निर्भर हैं।
दूषित पानी पीने के मामले में त्रिपुरा सबसे आगे
पर्वतीय राज्यों की बात करें तो 62.81 लाख से अधिक नलों से आने वाले पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया। त्रिपुरा के 6146 नमूनों में से 1102, मिजोरम के 1426 नमूनों में से 142 व सिक्किम के 2347 नमूनों में से 198 दूषित मिले हैं। वहीं, उत्तराखंड के 26831 नलों से लिए 19271 नमूनों की जांच कराई गई। इसमें केवल 67 का पानी दूषित मिला है। इसी तरह अरुणाचल के 4639 नमूनों में से 13, मेघालय के 3656 में से 8 का पानी ही दूषित मिला।