कमीशन की कार्यवाही के दौरान ज्ञानवापी परिसर में 12.5 फुट का शिवलिंग मिला: जितेंद्र सिंह बिसेन

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में सोमवार को एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया है कि ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिला है। वजूखाने के भीतर कथित तौर पर मिले शिवलिंग को संरक्षित करने के लिए वकील हरिशंकर जैन ने कोर्ट में याचिका डाली।

याचिका की तमाम दलीलों पर गौर करने के बाद अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में उक्त स्थान को सील करने का आदेश दिया। इधर, विश्व वैदिक सनातन के संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन ने दावा किया कि कमीशन की कार्यवाही के दौरान ज्ञानवापी परिसर में 12.5 फुट का शिवलिंग मिला है।

शिवलिंग की सुरक्षा के लिए बढ़ाई जाए फोर्स

उन्होंने कहा कि उनकी तबियत आज ठीक नहीं थी। इस नाते वे आज ज्ञानवापी में हुई कमीशन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले पाए थे। लेकिन, उनके सहयोगियों ने शिवलिंग मिलने की जानकारी दी। ऐसा साक्ष्य है जिसे अदालत में पेश किया जाएगा। हरिशंकर जैन की तबियत बिगड़ गई है। वे अस्पताल में हैं। कमीशन की कार्यवाही के लिए जिला प्रशासन और न्यायिक टीम को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट मंगलवार को अदालत में पेश की जाएगी। शिवलिंग की सुरक्षा के लिए फोर्स बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि सुनवाई लंबी नहीं चलेगी। हमें अपना अधिकार जल्द मिलेगा। उनके नेतृत्व में पांच महिलाओं ने याचिका दायर की थी जिसकी सुनवाई के दौरान हुए आदेश पर कमीशन की कार्यवाही हुई। श्रृंगार गौरी व अन्य देवी देवताओं के विग्रहों की रक्षा और नियमित दर्शन के लिए इजाजत मांगी गई थी।

भावनाओं पर काबू रखने की अपील

विश्व वैदिक सनातन के संघ के अध्यक्ष ने आम जनता से अपील की कि अपने भावनाओं पर काबू में रखें। इस दौरान कोई भी फायदा उठा सकता है। संयम से काम लें। हमारी लड़ाई संवैधानिक लड़ाई है। हमारी तैयारी भी ऐसी है। प्रतीक्षा बहुत लंबी नहीं करनी पड़ेगी। चाहे मथुरा हो काशी हो, ताजमहल और कुतुबमीनार हैं। हर जगह हमारी संवैधानिक लड़ाई हरिशंकर जैन के नेतृत्व में लड़ रहे हैं। एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रत्यक्षम किम प्रमाणम। 

तरह-तरह के दावों पर डीएम का बयान

ज्ञानवापी से बाहर निकलते सर्वे टीम में शामिल अधिवक्ता

वाराणसी के जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने कहा कि अधिवक्ता आयुक्त ने सभी पक्षों को निर्देश दिया है कि 17 मई को अदालत में रिपोर्ट पेश किए जाने तक किसी को भी इस बात को लेकर कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए कि मस्जिद परिसर में क्या-क्या मिला है। हालांकि, अगर कोई खुद ऐसे दावे कर रहा है तो इसकी प्रामाणिकता साबित नहीं की जा सकती।

अगर किसी और ने आपको कोई जानकारी दी है तो कोर्ट कमीशन का इससे कोई लेना-देना नहीं है।  यह पूछे जाने पर कि क्या सर्वे में शामिल किसी सदस्य को आयोग की कार्यवाही से वंचित रखा गया था, डीएम ने कहा कि कल हमें सूचना मिली थी कि एक सदस्य को आयोग की गतिविधियों से 15-20 मिनट के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन बाद में उसे कार्यवाही का हिस्सा बनने की अनुमति दे दी गई थी। दरअसल, इस सदस्य पर आरोप था कि उसने अदालत के निर्देशों के खिलाफ गोपनीय जानकारी साझा की थी। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here