दारुल उलूम देवबंद के नाम पर फर्जी फतवा बंटवाने के मामले में आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया है। पीड़ित मोहतमिम ने अदालत में कहा कि उन्हें घटना याद नहीं है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम जैबा रऊफ ने साक्ष्य के अभाव में 12 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।
मुजफ्फरनगर शहर कोतवाली क्षेत्र के मिमलाना स्थित मदरसा इस्लामिया अरबिया जामा रफीकुल उलूम महमूदिया के मोहतमिम हाजी शाहिद ने परिवाद दर्ज कराया था। मोहतमिम का कहना था कि 15 मार्च 2008 को उनकी छवि खराब करने के लिए कुछ लोगों ने दारुल उलूम देवबंद के नाम से एक फर्जी फतवा तैयार कराया और खुद को मदरसे का मोहतमिम बताया था।
मामले ने तूल पकड़ा तो 17 आरोपियों के खिलाफ परिवाद दर्ज कराया गया। न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट संख्या-1 ने आरोपियों को तलब किया। सुनवाई के दौरान वादी अपने बयान से पलट गए और कहा कि घटना याद नहीं है। उनकी कोई मानहानि नहीं हुई है। इस पर अदालत ने साक्ष्य के अभाव में 12 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। वहीं ट्रायल के दौरान पांच आरोपियों की मौत हो चुकी है।