कोरोना की तीसरी लहर में जान गंवाने वाले 60 फीसदी मरीजों को नहीं लगा था टीका

एक निजी अस्पताल के अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर के दौरान इस महामारी जान गंवाने वाले 60 फीसदी लोगों का या तो बिल्कुल टीकाकरण नहीं हुआ था या फिर पूर्ण टीकाकरण नहीं हुआ था। यह अध्ययन मैक्स हेल्थकेयर की ओर से किया गया है। इसके अनुसार जान गंवाने वालों में 70 वर्ष से अधिक आयु वाले और विभिन्न बीमारियों से पीड़ित लोगों की संख्या अधिक रही है।

मैक्स हेल्थकेयर की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘हमारे अस्पतालों में, 82 मौतों में से 60 फीसदी मामले ऐसे थे जिनमें मरीज को टीके की या तो दोनों खुराकें नहीं लगी थीं या फिर एक ही खुराक लगी थी।’ दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी इस पर जोर देते रहे हैं कि ऐसे लोगों में जान जाने का खतरा अधिक देखा गया है जिनका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर है और जो पहले से ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित रहे हैं।

ऑक्सीजन सपोर्ट की तीनों लहरों में कुछ ऐसी रही स्थिति
कोरोना वायरस वैश्विक महामारी की तीन लहरों का तुलनात्मक अध्ययन बताता है कि तीसरी लहर के दौरान केवल 23.4 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट देने की आवश्यकता पड़ी। महामारी की दूसरी लहर के दौरान यह आंकड़ा 74 फीसदी और पहली लहर के दौरान 63 फीसदी था। मैक्स के अस्पतालों में कुल 41 कोरोना संक्रमित नाबालिग भर्ती किए गए। यहां इस आयु वर्ग में एक भी मौत दर्ज नहीं की गई।

इस बार दिल्ली के अस्पतालों में बेड का कोई संकट नहीं
बयान में कहा गया कि पिछले साल अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब दिल्ली में 28 हजार मामले दर्ज किए गए थे, तब सभी अस्पतालों के आईसीयू बेड पूरी तरह भरे हुए थे। जबकि इस तीसरी लहर के दौरान पिछले सप्ताह ही दिल्ली में कहीं अधिक मामले दर्ज किए गए थे लेकिन कोरोना वायरस संक्रमितों के लिए कहीं भी अस्पतालों में बेड की उपलब्धता को लेकर कोई संकट देखने को नहीं मिला है।

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