पिछले साल अगस्त में शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुई हिंसा में हिस्सा लेने वाले एक व्यक्ति को पश्चिम बंगाल में मतदाता पाया गया है। इस मामले ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, जिसमें भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने राज्य की मतदाता सूची में अवैध घुसपैठियों को शामिल किया है। इस व्यक्ति की पहचान न्यूतन दास के रूप में हुई है, जिसने 2024 में ढाका में हुए छात्र विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था और अब वह बंगाल के काकद्वीप क्षेत्र में मतदाता के रूप में दर्ज है।
दो देशों में मतदाता, खुद को भारतीय नागरिक बताता है आरोपी
बांग्लादेश में हुए विरोध प्रदर्शनों ने शेख हसीना सरकार को राजनीतिक दबाव में लाया था। इस विवाद के बीच न्यूतन दास ने दावा किया है कि वह भारतीय नागरिक है और उसके पास पैन कार्ड और आधार कार्ड भी मौजूद हैं। दास ने बताया कि वह 2024 में बांग्लादेश गया था, जहां वह कुछ कारणों से फंस गया। उसकी बांग्लादेश में पैतृक संपत्ति भी है। दास का कहना है कि वह 2014 से काकद्वीप में मतदाता है और 2016 के विधानसभा चुनाव में मतदान भी कर चुका है। वहीं, न्यूतन दास के चचेरे भाई का कहना है कि न्यूतन का जन्म बांग्लादेश में हुआ था और वह दोनों देशों में वोट करता है। वह कोरोना महामारी के दौरान अपनी संपत्ति बेचने भारत आया था और तब से यहीं रह रहा है। चचेरे भाई ने कहा कि न्यूतन को दोनों देशों में मतदाता बनने के लिए जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है।
भाजपा ने ममता सरकार पर निशाना साधा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘वह व्यक्ति जो बांग्लादेश के छात्र आंदोलन में लाठी लेकर दिखा था, अब काकद्वीप में मतदाता के रूप में दर्ज है। टीएमसी और ममता बनर्जी अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही हैं।’ वहीं, नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने भी कहा कि बंगाल में लाखों बांग्लादेशी मतदाता सूची में शामिल हैं। उन्होंने अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के सदस्य साद शेख का उदाहरण दिया, जो मुर्शिदाबाद में मतदाता है। भाजपा का आरोप है कि कई बांग्लादेशी जिहादी और अवैध घुसपैठिए भारत में घुस आए हैं और सत्ता पक्ष द्वारा उन्हें वोटिंग के लिए नागरिकता दी गई है।
टीएमसी ने आरोपों को ठुकराया
ट्रेनलिंक कांग्रेस (टीएमसी) ने भाजपा के आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि अवैध घुसपैठ की जिम्मेदारी बीएसएफ और केंद्र सरकार की है। टीएमसी ने कहा कि सीमाओं की सुरक्षा बीएसएफ की जिम्मेदारी है और राज्य सरकार अपनी भूमिका निभा रही है, लेकिन देश की सीमाओं को सुरक्षित रखना केंद्र सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।