लखनऊ में रविवार की आधी रात लगभग 2,000 लोग इजराइल के खिलाफ प्रदर्शन करते नजर आए। दरगाह हजरत अब्बास पर जमा हुए शिया समुदाय के लोगों ने जोरदार नारे लगाए जैसे ‘इजराइल मुर्दाबाद’ और ‘नेतन्याहू मुर्दाबाद’। ये लोग ऑल इंडिया सेंटर बोर्ड ऑफ अजादारी इजलास 2025 में शामिल होने के लिए आए थे।
लगभग 80 संगठनों के प्रतिनिधि इकट्ठा होकर मोहर्रम की तैयारियों पर चर्चा भी कर रहे थे। इस दौरान मंच से मौलानाओं ने ‘ईरान जिंदाबाद’ के नारे लगाए और इजराइल तथा उसके प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ तीव्र विरोध जताया।
दरगाह हजरत अब्बास के मुतवल्ली मिसम रिजवी ने बताया कि मोहर्रम से पहले हर साल यह संगठनों का वार्षिक आयोजन होता है, जिसमें मोहर्रम की तैयारी का विस्तार से मसौदा तैयार किया जाता है। इस साल न केवल मोहर्रम की योजना बनी, बल्कि ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष पर भी विचार-विमर्श हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग इजराइल के विरोध में और ईरान के समर्थन में खड़े दिखे। उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के लिए दुआएं भी कीं।
मिसम रिजवी ने कहा कि अमेरिका और इजराइल दोनों ही आतंकवादी देश हैं। जब इजराइल को हार का डर सताने लगा तो वह अमेरिका के सामने घुटने टेकने को मजबूर हो गया। अमेरिका द्वारा ईरान पर हमले को वे इस बात का सबूत मानते हैं कि इजराइल युद्ध में कमजोर पड़ रहा है। नेतन्याहू पर हार का साया मंडराने लगा है और वे अकेले ईरान का मुकाबला करने में असमर्थ हैं।
उन्होंने कहा कि इजराइल ने फिलिस्तीन और गाजा में निर्दोष लोगों, खासकर बच्चों और महिलाओं की बर्बर हत्याएं की हैं। ईरान इसी हिंसा का बदला ले रहा है। इजराइल चाहता है कि ईरान भी अन्य देशों की तरह उसका पालनहार बने, लेकिन ईरान झुकने को तैयार नहीं है। इसलिए बौखलाया हुआ इजराइल अपने गुनाहों की कीमत चुका रहा है।
मिसम रिजवी ने यह भी बताया कि उनका मुख्य प्रयास मोहर्रम के आयोजन को सुचारू रूप से संपन्न कराना है। प्रशासन और शासन के साथ मिलकर जुलूस, मजलिस और मातम जैसे पारंपरिक कार्यक्रमों को बिना किसी अड़चन के चलाने के लिए सभी संगठनों के साथ संवाद जारी है ताकि कोई परेशानी न हो।