चिराग पासवान की पार्टी का नाम होगा ‘लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)’

चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच पार्टी पर दावेदारी को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद अब विराम ले चुका है. आज चुनाव आयोग (EC) ने चिराग और चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) को उनकी नई पार्टी का नाम, चुनाव चिन्ह के साथ सौंप दिया है. दरअसल पिछले काफी समय से चिराग पासवान (Chirag Paswan) और पशुपति पारस के बीच पार्टी (लोक जनशक्ति पार्टी) पर अलग-अलग दावेदारी पेश की जा रही थी. जिसके बाद चिराग ने हाल ही में चुनाव आयोग को पत्र लिखा था और उनके चाचा पशुपति पारस के पार्टी प्रमुख होने के दावे को खारिज करने की अपील की थी.

चुनाव आयोग (Election Commission) ने चिराग पासवान को ‘लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)’ नाम और चुनाव चिन्ह ‘हेलीकॉप्टर’ आवंटित किया है. जबकि पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) को ‘राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी’ नाम और ‘सिलाई मशीन’ चुनाव चिह्न के रूप में आवंटित किया गया है. इससे पहले, चुनाव आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) के चुनाव चिन्ह ‘बंगला’ को फ्रीज कर दिया था, जिसकी वजह से दोनों ही नेता और उनके पक्ष लोक जनशक्ति पार्टी के चिन्ह का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे.

बिहार में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव

LJP के चुनाव चिन्ह को फ्रीज करने के साथ ही चुनाव आयोग ने कहा था कि चिराग पासवान और पशुपति पारस, दोनों को ही पार्टी के चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है. चुनाव आयोग ने दोनों ही पक्षों को अंतरिम हल निकालने के लिए भी कहा था. आयोग ने कहा था कि दोनों पक्ष पार्टी के नाम और चिन्ह को लेकर जल्द ही विवाद का हल निकाल लें. चुनाव आयोग का ये फैसला ऐसे समय पर आया है जब बिहार में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. मुंगेर के तारापुर और दरभंगा के कुशेश्वरस्थान में 30 अक्टूबर को वोट डाले जाने हैं. उप चुनाव की नॉमिनेशन प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है.

चाचा-भतीजे के बीच विवाद की शुरुआत LJP संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद शुरू हुई थी. रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी के प्रदर्शन से नाराज पांच सांसदों ने पशुपति पारस के नेतृत्व में बगावत कर दी थी. पारस गुट ने खुद को असली जनशक्ति पार्टी बताते हुए लोकसभा में स्पीकर से जगह मांगी थी, जिसको मंजूरी मिल गई थी. इसके साथ ही इस गुट का नेतृत्व करने वाले पशुपति पारस को केंद्रीय कैबिनेट में भी शामिल कर लिया गया था. वहीं चिराग भी लगातार उनके गुट को असली LJP बताते रहे.

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